रांची : नेतरहाट आवासीय विद्यालय में नामांकन की प्रक्रिया में बदलाव होगा़ नेतरहाट विद्यालय समिति ने इसका प्रस्ताव तैयार किया हैं. विद्यालय की नामांकन नियमावली बनाने की जिम्मेदारी नेतरहाट आवासीय विद्यालय के प्राचार्य को सौंपी गयी थी. प्राचार्य ने नामांकन प्रक्रिया को लेकर रिपोर्ट स्कूल समिति को सौंप दी है़.
नेतरहाट विद्यालय समिति ने प्राचार्य की रिपोर्ट के आधार पर नामांकन प्रक्रिया में बदलाव की कार्रवाई शुरू कर दी है़ देश के अन्य सरकारी आवासीय विद्यालयों में नामांकन की प्रक्रिया की जानकारी भी जुटायी जा रही है़ नामांकन के लिए आवेदन जमा करते समय अभिभावक को यह प्रमाण देना होगा कि उनका बच्चा झारखंड के स्कूल में पढ़ रहा है.
बच्चे कितने समय से झारखंड के विद्यालय में नामांकित हो इस पर फिलहाल अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है़ समिति इस पर विचार कर रही है कि नामांकन के पूर्व तीन से पांच वर्ष तक यहां के स्कूल में पढ़ना अनिवार्य किया जाये. इसमें सरकारी व निजी स्कूल के बच्चों को मौका दिया जा सकता है़ निजी स्कूल के लिए मान्यता प्राप्त होना अनिवार्य होगा़ प्रस्ताव को समिति की स्वीकृति के लिए बैठक में रखा जायेगा़.
नामांकन प्रक्रिया में बदलाव से फरजीवाड़ा पर रोक लगेगी. नेतरहाट विद्यालय में नामांकन के लिए झारखंड के स्कूल में बच्चे का पढ़ना अनिवार्य होने से बाहर के बच्चों के नामांकन पर रोक लगेगी. इससे कोचिंग संचालक भी फरजी स्कूल के नाम से बच्चे को परीक्षा में शामिल नहीं करा सकेंगे़ बच्चे को गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय के माध्यम से भी परीक्षा में शामिल होने पर रोक लगेगी.
जैक अध्यक्ष ने चार साल की मांगी रिपोर्ट
रांची़ झारखंड एकेडमिक काउंसिल के अध्यक्ष डॉ अरविंद प्रसाद सिंह ने नेतरहाट आवासीय विद्यालय का गत चार वर्षों के नामांकन रिजल्ट की रिपोर्ट मांगी है़ विद्यालय में नामांकन के लिए चयनित बच्चों के नाम, पता देने को कहा गया है़ उल्लेखनीय है कि जैक अध्यक्ष द्वारा नेतरहाट विद्यालय में नामांकन की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी भी गठित करने का निर्देश दिया गया था़ जैक के उपाध्यक्ष डॉ फूल सिंह की अध्यक्षतावाली कमेटी में जैक के संयुक्त सचिव अरविंद कुमार झा व रांची के जिला शिक्षा पदाधिकारी राजकुमार प्रसाद सिंह को सदस्य बनाया गया था़ कमेटी गठन के निर्देश के चार दिन बाद भी अभी तक इसकी अधिसूचना जारी नहीं की जा सकी है़.
कोचिंग संस्थान उठाते हैं लाभ
वर्तमान नामांकन व्यवस्था का लाभ कुछ कोचिंग व प्राइवेट (गैर मान्यता प्राप्त ) विद्यालय के संचालक उठा रहे है़ं इस कारण पूरे राज्य के बदले 80 से 90 फीसदी बच्चों का चयन कुछ जिलों से होता है़ कुछ गैर मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूल व काेचिंग संचालक बच्चों को विद्यालय प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराते है़ समिति ऐसे कोचिंग संस्स्थानों का एकाधिकार समाप्त करना चाहती है़ विद्यालय प्रवेश परीक्षा में सभी जिलों से मेधावी बच्चों का चयन हो इसे सुनिश्चित किया जायेगा़
नामांकन का मापदंड
नेतरहाट विद्यालय में कक्षा छह में नामांकन लिया जाता है़ नामांकन टेस्ट के प्रश्न कक्षा पांच के स्तर का होता है़, पर विद्यालय में बच्चा किस कक्षा में पढ़ता है यह अनिवार्य नहीं है़ बच्चे का स्कूल जाना भी अनिवार्य नहीं है़ कई बच्चे स्वतंत्र रूप से परीक्षा में शामिल होते हैं.
क्यों होता है फरजीवाड़ा
गड़बड़ी का सबसे बड़ा कारण वर्तमान नामांकन सिस्टम है़ नामांकन सिस्टम के दोष का लाभ कोचिंग संचालक व शिक्षा माफिया उठा रहे हैं. बच्चे को गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय या स्वतंत्र रूप से परीक्षा में शामिल करवाते है़ दूसरे राज्य के बच्चों का भी आवेदन जमा होता है़