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13 हवन कुंडों में होता है यज्ञ

13 हवन कुंडों में होता है यज्ञ मां छिन्नमस्तिके की होती है विशेष पूजा फोटो फाइल : 11 चितरपुर एफ, जी, एचरजरप्पा मंदिर, असीम पंडा, मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ सुरेंद्र कुमार @ रजरप्पा रजरप्पा मंदिर सिद्धपीठ स्थल के रूप में देश भर में प्रसिद्ध है. मां कामख्या देवी मंदिर के बाद रजरप्पा स्थित […]

13 हवन कुंडों में होता है यज्ञ मां छिन्नमस्तिके की होती है विशेष पूजा फोटो फाइल : 11 चितरपुर एफ, जी, एचरजरप्पा मंदिर, असीम पंडा, मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ सुरेंद्र कुमार @ रजरप्पा रजरप्पा मंदिर सिद्धपीठ स्थल के रूप में देश भर में प्रसिद्ध है. मां कामख्या देवी मंदिर के बाद रजरप्पा स्थित मां छिन्नमस्तिके मंदिर सिद्धि प्राप्त करने का सर्वोत्तम स्थान है. यहां प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में साधु, महात्मा और श्रद्धालु मां नवरात्रा में शामिल होते हैं. विभिन्न यज्ञ, हवन कुंडों में विशेष अनुष्ठान कर सिद्धि की प्राप्ति करते है़ं रजरप्पा मंदिर के वरिष्ठ पुजारी ने कहा है कि यहां मां छिन्नमस्तिके की विशेष अराधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. वहीं धन, संपति, माया, काम बीज, विद्या, सुख-शांति, शत्रुनाश की सिद्धि प्राप्त होती है. एकांत वास में करते हैं साधना रजरप्पा जंगलों से घिरा हुआ है, जहां दामोदर व भैरवी का संगम है. दामोदर नद है, तो भैरवी नदी. यहां दामोदर नद के ऊपर भैरवी नदी गिरी हुई है. इस कारण यह जगह कई मायने में महत्वपूर्ण है. यहां सुबह जहां चहल-पहल व कौतूहल बना रहता है़ वहीं संध्या होते ही सन्नाटा पसर जाता है. लोगों का ऐसा मानना है कि मां छिन्नमस्तिके यहां रात्रि में विचरण करती हैं. फलस्वरुप एकांत वास में साधक तंत्र-मंत्र की सिद्धि प्राप्ति में जुटे रहते हैं. कई राज्यों से पहुंचते है साधकदुर्गा पूजा के अवसर पर आसाम, पश्चिम बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़, ओडि़शा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश सहित कई प्रदेशों से साधक यहां जुटते हैं. मां छिन्नमस्तिके की विशेष पूजा अर्चना कर साधना में लीन रहते हैं. सुबह तीन बजे खुलता है मंदिर का पट रजरप्पा मंदिर में अमावस्या के दिन अहले सुबह तीन बजे पट खुलता है. मां भगवती की विशेष पूजा – अर्चना होती है और अन्य दिन चार बजे सुबह से मां का दर्शन शुरू हो जाते हैं. संध्या में आरती के बाद साढ़े छह बजे (शीत) में और गरमी में सात बजे मां का द्वार बंद होता है. प्रतिदिन 12 बजे दोपहर में भोग लगता है.

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