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1…क्या कहते हैं पूर्व मुखिया

1…क्या कहते हैं पूर्व मुखियाफोटो-30 डालपीएच-9हेडलाइन…प्रतिष्ठा नहीं रही, तामझाम ज्यादा है प्रतिनिधि, मेदिनीनगर.रामगोविंद यादव की उम्र करीब 70 के आसपास है. 1978 में वह मुखिया बने थे. आज की परिस्थिति में पंचायत चुनाव को लेकर जो माहौल बनता है, उसे देख कर श्री यादव काफी निराश हैं. बातचीत में उन्होंने कहा कि यह सही है […]

1…क्या कहते हैं पूर्व मुखियाफोटो-30 डालपीएच-9हेडलाइन…प्रतिष्ठा नहीं रही, तामझाम ज्यादा है प्रतिनिधि, मेदिनीनगर.रामगोविंद यादव की उम्र करीब 70 के आसपास है. 1978 में वह मुखिया बने थे. आज की परिस्थिति में पंचायत चुनाव को लेकर जो माहौल बनता है, उसे देख कर श्री यादव काफी निराश हैं. बातचीत में उन्होंने कहा कि यह सही है कि पहले के मुखिया के पास वित्तीय अधिकार नहीं था, फंड नहीं था, लेकिन मुखिया की जो प्रतिष्ठा थी, या लोग जिस रूप में मुखिया को लेते थे, आज तो वैसी प्रतिष्ठा विधायकों की नहीं है. लोग उम्मीद रखते थे मुखिया से. मुखिया द्वारा यदि कोई निर्णय ले लिया जाता था, तो उसके साथ पंचायत के लोग खड़े होते थे. यदि किसी को निर्णय पर आपति होती थी तो एतराज करने का भी अदब होता था, लेकिन आज के दौर में ऐसा कुछ भी नहीं. मुखिया पर भ्रष्टाचार का आरोप लगता है, मुखिया पर कोई असर नहीं पड़ता है. मुखिया पंचायती करते हैं, कोई निर्णय नहीं होता, मुखिया के निर्णय पर लोग उंगली उठाते हैं. ऐसा इसलिए हुआ कि आज जो लोग मुखिया बन रहे हैं, उनमें सेवा की भावना नहीं है, बल्कि वह स्वार्थ के लिए काम कर रहे हैं, यही वजह है कि आज प्रतिष्ठा गिर चुकी है. वे लोग जब चुनाव लडे थे तब इतना तामझाम नहीं था. पैदल चलकर ही प्रचार कर लेते थे. जनसंपर्क के दौरान गांववाले ही नास्ते-खाने का प्रबंध करते थे. पर आज चुनाव लड़ने से पहले लोग पैसा जुटा रहे हैं, स्थिति काफी विकट है.

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