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सभी विभागों को तैयारी करने के लिए कहा गया, 28 नवंबर तक बजट बना लें

रांची: झारखंड सरकार ने सभी विभागों को वर्ष 2014-15 का बजट तैयार करने का निर्देश दिया है. 28 नवंबर तक सामान्य बजट, नयी योजनाओं की सूची, गैर योजना बजट, केंद्र प्रायोजित योजनाओं का समावेश और राजस्व तथा प्राप्ति के संबंध में तैयारी करने की जवाबदेही सभी विभागों के प्रधान सचिव, सचिव और विभागाध्यक्षों को सौंपी […]

रांची: झारखंड सरकार ने सभी विभागों को वर्ष 2014-15 का बजट तैयार करने का निर्देश दिया है. 28 नवंबर तक सामान्य बजट, नयी योजनाओं की सूची, गैर योजना बजट, केंद्र प्रायोजित योजनाओं का समावेश और राजस्व तथा प्राप्ति के संबंध में तैयारी करने की जवाबदेही सभी विभागों के प्रधान सचिव, सचिव और विभागाध्यक्षों को सौंपी गयी है. बजट मैनुअल के नियमों के अंतर्गत बजट प्राक्कलन और सीओबीटी तैयार करने का आग्रह वित्त विभाग के सचिव ने किया है.

बजट में राजस्व प्राप्ति एवं व्यय का प्राक्कलन के लिए 2012-13 के वास्तविक खर्च और चालू वित्तीय वर्ष के पहले छह माह के आंकड़े को भी शामिल करने का आग्रह किया गया है. राजस्व प्राप्ति में संबंधित विभागों के तीन वर्षो की तुलना भी मांगी गयी है. केंद्र से मिलनेवाले अनुदान की राशि को अलग तरीके से प्रदर्शित करने का आग्रह किया गया है.

2014-15 के लिए बजट का स्वरूप : अगले वित्तीय वर्ष के लिए स्थापना मद में खर्च होनेवाली राशि का ब्योरा तैयार करने को कहा गया है. स्थापना मद के खर्च में झारखंड राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम के तहत सहायता भुगतान, संविदा पर कार्य करनेवाले कर्मी की संख्या भी मांगी गयी है. वेतन की गणना एक सितंबर 2012 को कार्य कर रहे कर्मियों के आधार पर करने का आग्रह किया गया है. मुद्रास्फीति की वर्तमान दर के अनुसार अगले वित्तीय वर्ष में जीवन यापन भत्ता 105 प्रतिशत तक रखने का निर्देश दिया गया है. इसकी गणना मूल वेतन, ग्रेड पे और परिवहन भत्ता के अनुरूप करने का निर्देश दिया गया है. विभागों के वाहनों के लिए बजट की राशि का प्रावधान करने को कहा गया है. इसमें वाहनों की संख्या, उसके उपयोग, खर्च होनेवाले ईंधन और मरम्मत की राशि भी शामिल करने के लिए कहा गया है. अन्य मद में होनेवाले खर्च के लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक किया गया है कि सरकारी परिपत्रों का उपयोग कैसे किया जा रहा है.

योजना बजट : योजना आकार में चालू योजनाओं के लिए वेतन, भत्ता और अन्य खर्च का प्रावधान गैर योजना बजट में करने का निर्देश दिया गया है. योजना विभाग से सभी क्षेत्रों में होनेवाले खर्च को विभागवार भेजने का निर्देश दिया गया है. केंद्र प्रायोजित योजनाओं में राज्य सरकार के अंशदान का भी अलग तरीके से चर्चा करने को कहा गया है.

केंद्रीय योजनाएं : केंद्रीय योजनागत योजना (सीपीएस) एवं केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनागत योजना (सीएसपीएस) के लिए अलग-अलग प्रस्ताव तैयार करने का आदेश दिया गया है. इसके अतिरिक्त विशेष अंगीभूत योजना, बाह्य पोषित योजना और विशेष केंद्रीय सहायता योजना का भी अलग-अलग ब्योरा मांगा गया है. इतना ही नहीं अन्य क्षेत्रीय उप योजना (टीएसपी), अनुसूचित जातियों के लिए विशेष अंगीभूत योजना, पिछड़ी जातियों के लिए योजना और अनुसूचित जनजातियों के लिए भी योजना तैयार करने का आग्रह किया गया है.

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