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सरकारी जमीन निजी पार्टी को
मामला. हाइटेंशन इंसुलेटर फैक्टरी का संजय रांची : हाइटेंशन इंसुलेटर फैक्टरी, सामलौंग रांची की जमीन निजी पार्टी को हैंडअोवर कर दी गयी है. अभी परिसर में साफ-सफाई का काम चल रहा है. कारखाना की इस 25 एकड़ जमीन का बाजार भाव करीब 150 करोड़ रु है. इसे मात्र 17 लाख रु प्रतिमाह के किराये पर […]
मामला. हाइटेंशन इंसुलेटर फैक्टरी का
संजय
रांची : हाइटेंशन इंसुलेटर फैक्टरी, सामलौंग रांची की जमीन निजी पार्टी को हैंडअोवर कर दी गयी है. अभी परिसर में साफ-सफाई का काम चल रहा है. कारखाना की इस 25 एकड़ जमीन का बाजार भाव करीब 150 करोड़ रु है.
इसे मात्र 17 लाख रु प्रतिमाह के किराये पर 33 साल के लिए श्रीराम इलेक्ट्रो कास्ट, झारखंड प्रालि को लीज पर दिया गया है. हाइटेंशन के प्रभारी महाप्रबंधक सतीश चंद्र विद्यार्थी के अनुसार इनके तीन पार्टनर मूलत: झालदा निवासी विष्णु कुमार अग्रवाल, प्रदीप कुमार संथालिया तथा अनिल जैन हैं.
झारखंड में इस कारखाने के अलावा अन्य चार कारखाने बिहार राज्य औद्योगिक विकास निगम (बीएसआइडीसीएल) के अधीन हैं. इनमें इइएफ टाटीसिलवे, हाइटेंशन परिसर में ही स्थित मैलुबल कास्ट आयरन तथा हाइटेंशन के सामने स्थित स्वर्णरेखा घड़ी कारखाना के अलावा सिंदरी स्थित सुपरफास्पेट कारखाना शामिल हैं. ये कारखाने नैसर्गिक तौर पर झारखंड की ही संपत्ति हैं.
गत 15 वर्षों में झारखंड सरकार अपना हक नहीं ले सकी. इन कारखानों के कर्मचारियों की मानें, तो झारखंड सरकार को इससे मतलब भी नहीं रहा. प्रमाण के तौर पर कर्मचारी निगम के पूर्व प्रबंध निदेशक राहुल सिंह तथा झारखंड सरकार के वरीय अधिकारियों के बीच फरवरी-15 में हुई बातचीत का हवाला देते हैं, जिसमें श्री सिंह ने झारखंड सरकार से इस जमीन को खरीद लेने के उपाय खोजने का कहा था. पर झारखंड सरकार ने इस पर गंभीरता नहीं दिखायी.
कौड़ियों के भाव गयी जमीन
हाइटेंशन की यह जमीन कौड़ियों के भाव निजी फर्म को दी गयी है. किराये की तय दर (17 लाख रु प्रतिमाह) से 33 वर्षों में निगम को सिर्फ 66 करोड़ रु मिलेंगे. इसकी वर्तमान कीमत सरकारी दर पर ही 150 करोड़ रु है.
कर्मचारियों के अनुसार 33 वर्षों के बाद क्या होगा, यह कहना मुश्किल है. जमीन के इस्तेमाल की शर्त का उल्लंघन यदि हुआ, तो इसकी मॉनिटरिंग कौन करेगा, यह भी देखना होगा.
तीन माह के किराये से माह भर का वेतन
हाइटेंशन के कर्मचारियों ने बताया कि वर्तमान डील दुर्भाग्यपूर्ण है. पार्टी 17 लाख रु प्रति माह के हिसाब से तीन माह में निगम को 51 लाख रु का भुगतान करेगी. जबकि झारखंड स्थित निगम के सभी पांच कारखाने के कार्यरत, मृत व सेवानिवृत्त लोगों के वेतन मद में प्रति माह 43 लाख रु चाहिए. वहीं वेतन व अन्य मद की पूरी देनदारी करीब 200 करोड़ है, जो हाइटेंशन की जमीन की बिक्री से पूरी की जा सकती थी. यानी जमीन भी चली गयी तथा जरूरत भी पूरी नहीं हो सकी.
जमीन लेती रही है झारखंड सरकार
जमीन की कमी से जूझती झारखंड सरकार ने कई अवसर पर निगम की जमीन ली है. हाइटेंशन की 15 एकड़ जमीन पर ही पावर सब स्टेशन व ग्रिड का निर्माण कराया गया है. इएसआइ अस्पताल, नामकुम के लिए भी हाइटेंशन ने छह एकड़ जमीन दी है. उधर इइएफ टाटीसिलवे की 1.06 एकड़ जमीन 27 लाख रु में टाटीसिलवे थाने के लिए दी गयी है.
इन सबका भुगतान हुआ है, कुछ बकाया है. नामकुम के रेल ओवर ब्रिज के पहुंच पथ बनाने में भी हाइटेंशन की लगभग 12 एकड़ जमीन गयी थी. इसके एवज में हाइवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया ने हाइटेंशन को नौ करोड़ रु का भुगतान किया था. कारखाना कर्मचारियों के अनुसार जब इन सबके लिए जमीन ली गयी, तो कारखाना परिसर व अन्य जमीन भी ली जा सकती थी.
सिंदरी सुपरफास्फेट कारखाना की कुल जमीन : 130 एकड़ (इसमें से 70 एकड़ का ही कागज उपलब्ध है. शेष की खोज हो रही है)
इइएफ की कुल जमीन : 135 एकड़
कारखाना परिसर : 15 एकड़
रियाडा एरिया फेज दो : 40 एकड़
टाटीसिलवे थाना : लगभग एक एकड़
रिक्त जमीन : 79 एकड़
हाइटेंशन की कुल जमीन : 198 एकड़
कारखाना परिसर : 25 एकड़
इएसआइ अस्पताल : 6 एकड़
रियाडा एरिया : 25 एकड़
सब स्टेशन+ग्रिड : 15 एकड़
रेल ओवर ब्रिज की सड़क में : 12 एकड़
रिक्त जमीन : 115 एकड़
(हाइटेंशन की जमीन में ही मैलुबल कास्ट तथा स्वर्णरेखा घड़ी कारखाना अवस्थित हैं)
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