अतिक्रमण हटाने पर दर्द होता है, इसके बावजूद उसे हटाने की कार्रवाई करें. उपायुक्त शपथ पत्र दायर कर अतिक्रमण की स्थिति स्पष्ट करें. खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान उपस्थित नगर आयुक्त प्रशांत कुमार से जानना चाहा कि क्या आप पावरलेस है. आपको अतिक्रमण हटाने का अधिकार है या नहीं. हाथ खड़े कर दो, कोर्ट आदेश पारित कर देगा. सुनवाई के दौरान जुडको के अध्यक्ष सह प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह व नगर आयुक्त प्रशांत कुमार सशरीर उपस्थित थे. खंडपीठ ने नगर आयुक्त को अगली सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने से छूट देते हुए प्रधान सचिव श्री सिंह को सशरीर उपस्थित रहने का निर्देश दिया. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता समीर सौरभ व राजीव कुमार ने पक्ष रखा. उनका कहना था कि जनहित याचिका में पारित आदेश का सरकार ने अनुपालन नहीं किया है. प्रार्थी ललन कुमार शर्मा ने अवमानना याचिका दायर की है.
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स्मार्ट सिटी के लिए अफसर स्मार्ट बने : कोर्ट
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने शुक्रवार को हरमू नदी की साफ-सफाई, सीवरेज-ड्रेनेज के निर्माण व अतिक्रमण मुक्त करने को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए अधिकारियों के रवैये पर कड़ी नाराजगी जतायी. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई. कोर्ट ने कहा कि 15 वर्ष […]
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने शुक्रवार को हरमू नदी की साफ-सफाई, सीवरेज-ड्रेनेज के निर्माण व अतिक्रमण मुक्त करने को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए अधिकारियों के रवैये पर कड़ी नाराजगी जतायी. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई. कोर्ट ने कहा कि 15 वर्ष बीतने जा रहा है, लेकिन रांची में सीवरेज-ड्रेनेज, पीने के पानी, ठोस कचरा प्रबंधन की समस्या अब भी बरकरार है. वर्ष 2014 में केंद्र सरकार ने सीवरेज-ड्रेनेज के निर्माण के लिए 60 करोड़ रुपये दिया है, लेकिन कार्य शुरू नहीं हुआ.
सीवरेज-ड्रेनेज का कार्य जोन-वन से शुरू किया जाये. साथ ही नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को शपथ पत्र दायर कर हरमू नदी के संरक्षण के लिए प्राप्त राशि व कितनी राशि खर्च की गयी है, उसकी जानकारी देने का निर्देश भी दिया़ हरमू नदी का एक्शन प्लान क्या है, उसे भी प्रस्तुत की जाये. सरकार को सकारात्मक कार्रवाई के लिए कोर्ट ने तीन सप्ताह की मोहलत दी. हरमू नदी के बीच में तथा उसके दोनों किनारे पर अतिक्रमण की जानकारी दिये जाने पर खंडपीठ स्तब्ध है. कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि नदी में अपार्टमेंट बन गया. बिना नक्शा पास किये भवन कैसे बन गया. बिजली कनेक्शन किसने दिया. नदी के शुरू से अंतिम सिरे तक के अतिक्रमण को हटाया जाये. अधिकारी गॉगल्स उतार कर अतिक्रमण देखें.
अतिक्रमण हटाने पर दर्द होता है, इसके बावजूद उसे हटाने की कार्रवाई करें. उपायुक्त शपथ पत्र दायर कर अतिक्रमण की स्थिति स्पष्ट करें. खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान उपस्थित नगर आयुक्त प्रशांत कुमार से जानना चाहा कि क्या आप पावरलेस है. आपको अतिक्रमण हटाने का अधिकार है या नहीं. हाथ खड़े कर दो, कोर्ट आदेश पारित कर देगा. सुनवाई के दौरान जुडको के अध्यक्ष सह प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह व नगर आयुक्त प्रशांत कुमार सशरीर उपस्थित थे. खंडपीठ ने नगर आयुक्त को अगली सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने से छूट देते हुए प्रधान सचिव श्री सिंह को सशरीर उपस्थित रहने का निर्देश दिया. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता समीर सौरभ व राजीव कुमार ने पक्ष रखा. उनका कहना था कि जनहित याचिका में पारित आदेश का सरकार ने अनुपालन नहीं किया है. प्रार्थी ललन कुमार शर्मा ने अवमानना याचिका दायर की है.
पहले सोये हुए थे क्या : कोर्ट
कोर्ट ने नगर निगम के जवाब पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि निगम ने 13 साल में जो काम नहीं किया था, उसे सिर्फ 13 दिन में कर दिया. 11 अगस्त से लेकर 24 अगस्त के बीच ठोस कचरा प्रबंधन, डंपिंग ग्राउंड, सीवरेज-ड्रेनेज आदि से संबंधित कार्य किया गया है. इस पर कैसे विश्वास किया जाये. यह कैसे संभव हो गया. पहले आप सोये हुए थे.
कैबिनेट स्वीकृति जरूरी है : सरकार
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता विनोद पोद्दार व अपर महाधिवक्ता जय प्रकाश ने खंडपीठ को बताया कि सीवरेज-ड्रेनेज के जोन-वन (नॉर्थ रांची) में काम शुरू होगा. 359 करोड़ रुपये की लागत आयेगी. राशि बढ़ जाने के कारण उसकी स्वीकृति कैबिनेट से लिया जाना है. स्वीकृति मिलते ही निर्माण कार्य शुरू हो जायेगा. केंद्र सरकार ने प्रथम किस्त के रूप में 60 करोड़ रुपये दिया है. शेष राशि चार किस्तों में मिलेगी.
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