रांची: वर्षा की कमी के बावजूद कई ग्रामीण किसानों को श्रीविधि से खाद्यान्न सुरक्षा की उम्मीद है. उषा मार्टिन के सीएसआर टीम की पहल पर इस वर्ष उषा मार्टिन के आसपास स्थित 21 गांवों के किसानों ने अब तक 250 एकड़ में श्रीविधि से धान की खेती की है. कम खाद, पानी व बीज के […]
रांची: वर्षा की कमी के बावजूद कई ग्रामीण किसानों को श्रीविधि से खाद्यान्न सुरक्षा की उम्मीद है. उषा मार्टिन के सीएसआर टीम की पहल पर इस वर्ष उषा मार्टिन के आसपास स्थित 21 गांवों के किसानों ने अब तक 250 एकड़ में श्रीविधि से धान की खेती की है. कम खाद, पानी व बीज के बदले दोगुने से अधिक उपज देनेवाले श्रीविधि तकनीक को झारखंड के कई जिलों के किसानों तक पहुंचाने में उषा मार्टिन की महती भूमिका रही है.
अनगड़ा के हेसल व बेडवारी गांव के किसानों द्वारा पिछले दो वर्षों से श्रीविधि तकनीक अपनाकर धान की खेती प्रायोगिक तौर पर की जा रही है. इस तकनीक के माध्यम से धान की उपज में बढ़ोतरी को देखते हुए अब इन दो गांवों के ग्रामीणों का विश्वास जगने लगा है, हालांकि अभी भी 95 प्रतिशत से अधिक खेतों में परंपरागत तरीके से ही धान की खेती की जा रही है.
बेडवारी के शनिचरवा मुंडा वर्ष 2013 में पहली बार श्रीविधि तकनीक से जमीन के एक छोटे से टुकड़े में धान की खेती करनेवाले अपने गांव के पहले व एकमात्र किसान थे. बकौल शनिचरवा मुंडा जब वह पहली बार इस तकनीक को अपनाकर दस-दस इंच की दूरी पर धान के एक-एक पौधे को लगाया, तो गांव वाले उसका उपहास कर रहे थे कि इस तकनीक को अपनाकर वह खुद डूबेगा और दूसरों को भी डुबायेगा. शनिचरवा ने बताया कि पहली वीडिंग के बाद ही पौधों के अच्छे विकास को देखते हुए लोगों की धारणा बदलने लगी. जब पैदावार में परंपरागत खेती की तुलना में दोगुनी वृद्धि हुई, तो श्रीविधि अपनानेवाले किसानों की संख्या महज दो वर्ष में अस्सी हो गयी. इस वर्ष बेडवारी गांव के अस्सी किसानों द्वारा लगभग साठ एकड़ खेत में धान की खेती श्रीविधि से की जा रही है.
हेसल गांव की सीता कुमारी, रामलखन सिंह यादव कॉलेज के बीए पार्ट वन की छात्र है, सीता ने बताया कि वह पहली बार इस तकनीक को अपनाकर इस विधि से धान की खेती कर रही है. उसने खुद अपने हाथों से धान की हाइब्रिड किस्म का बिचड़ा तैयार किया और श्रीविधि से लगभग बीस डिसमिल जमीन में खेती कर रही है. हेसल की लीलामनी देवी ने बताया कि पिछले वर्ष की सफलता को देखते हुए इस वर्ष लगभग एक एकड़ खेत में धान की श्रीविधि तकनीक से खेती की है.
जीवनबाला नामक एक महिला किसान ने बताया कि वह अपने तीन खेतों में ललाट व एक हाइब्रिड धान की खेती श्रीविधि तकनीक अपना कर की है. किसान धर्मनाथ महतो ने बताया कि वह ग्रामीणों को श्रीविधि तकनीक व परंपरागत रोपा तकनीक में अंतर की जानकारी देने के लिए एक ही खेत में दोनों तकनीक से धान की खेती की है.