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खान विभाग के पास बुनियादी आंकड़ा नहीं
रांची : खान भूतत्व विभाग के पास ईंट भट्ठा व्यापारियों और खनन पट्टाधारियों का बुनियादी आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. खान भूतत्व विभाग ने वाणिज्यकर विभाग को भेजे गये एक पत्र में यह स्वीकार किया है. साथ ही इससे संबंधित आंकड़ा जिलों में उपलब्ध होने की बात लिखी है. इसके बाद से वाणिज्यकर विभाग जिलों से […]
रांची : खान भूतत्व विभाग के पास ईंट भट्ठा व्यापारियों और खनन पट्टाधारियों का बुनियादी आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. खान भूतत्व विभाग ने वाणिज्यकर विभाग को भेजे गये एक पत्र में यह स्वीकार किया है.
साथ ही इससे संबंधित आंकड़ा जिलों में उपलब्ध होने की बात लिखी है. इसके बाद से वाणिज्यकर विभाग जिलों से इन आंकड़ों की मांग कर रहा है, ताकि गलत ब्योरा देकर टैक्स चोरी करनेवालों का पता लगाया जा सके.
महालेखाकार की ओर से राजस्व रिपोर्ट में सालाना 1000-2000 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का उल्लेख किया जाता रहा है. साथ ही इससे निबटने के लिए क्रास वेरिफिकेशन का सुझाव दिया जाता रहा है. महालेखाकार की अनुशंसाओं के आलोक में वाणिज्यकर विभाग ने क्रास वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू की.
इसके लिए दूसरे राजस्व विभागों से आवश्यक आंकड़े जुटाना शुरू किया. इसी क्रम में वाणिज्यकर विभाग ने खान भूतत्व विभाग से ईंट भट्ठा मालिकों और खनन पट्टाधारियों के ब्योरे की मांग की. वाणिज्यकर विभाग ने 24 अप्रैल 2015 को लिखे अपने पत्र में खान भूतत्व विभाग से जिलावार ईंट भट्ठा मालिकों और खनन पट्टाधारियों की सूची मांगी. साथ ही यह भी जानना चाहा कि इन व्यापारियों ने वित्तीय वर्ष 2012-13, 2013-14 और 2014-15 में रॉयल्टी मद में कितनी राशि का भुगतान किया है. पर, स्मार पत्र भेजे जाने के बाद ही खान भूतत्व विभाग ने वाणिज्यकर विभाग के पत्र का जवाब दिया. इसमें यह लिखा कि मुख्यालय में यह आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. ये आंकड़े जिले में मिलेंगे.
खान विभाग के इस जवाब ने वाणिज्यकर विभाग को हैरत में डाल दिया. इसके बाद वाणिज्य कर विभाग ने जिलों से ईंट भट्ठा मालिकों और लीज धारकों की सूची और उनके द्वारा जमा करायी गयी रॉयल्टी का ब्योरा मांगना शुरू किया है.
इन आंकड़ों को जुटाने के बाद इस बात की जांच की जायेगी कि ईंट भट्ठा मालिकों और खनन पट्टाधारियों ने वाणिज्यकर विभाग में दाखिल किये गये अपने रिटर्न में अपनी व्यापारिक गतिविधियों का सही सही ब्योरा दिया है या नहीं. ब्योरे में गड़बड़ी पाये जाने पर संबंधित ईंट भट्ठा मालिकों व खनन पट्टाधारियों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई करते हुए टैक्स और दंड की वसूली की जायेगी.
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