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15 साल पहले घर से कमाने निकला था शिवनंदन, लाश बन कर लौटा घर

गुमला: शिवनंदन भगत उर्फ सिलवेस्टर 15 साल पहले घर से निकला था. घर से निकलते वक्त बोला था, कुछ पैसा कमा कर लौटेंगे. 15 साल बाद जब आज मैं उससे मिली, तो उसे मरा हुआ देख रही हूं. यह कहना है उसकी पत्नी शीलवंती देवी का. कहा कि अपना घर लोहरदगा जिला की हेसल पंचायत […]

गुमला: शिवनंदन भगत उर्फ सिलवेस्टर 15 साल पहले घर से निकला था. घर से निकलते वक्त बोला था, कुछ पैसा कमा कर लौटेंगे. 15 साल बाद जब आज मैं उससे मिली, तो उसे मरा हुआ देख रही हूं. यह कहना है उसकी पत्नी शीलवंती देवी का. कहा कि अपना घर लोहरदगा जिला की हेसल पंचायत स्थित बसारडीह गांव है.

शिवनंदन के पिता दुर्गा भगत बीमारी से मर गये. गांव में कुछ काम नहीं था. गरीबी में जी रहे थे. तीन बेटा था. पढ़ाने की चिंता थी. पिता की मौत से सिलवेस्टर टूट गया था. वह घर से निकला. उस समय गर्भ में सबसे छोटी बेटी पूर्णिमा केरकेट्टा (अब 15 साल) थी. वह अपने पिता को भी नहीं देख सकी थी.

घर से निकलने के बाद वह कहां गया, कुछ पता नहीं चला. कुछ महीनों बाद पता चला कि वह गुमला इलाके में है. जंगल में हथियार लेकर घूमता है. नक्सली बन गया है. इसके बाद से संपर्क टूट गया. कई बार मुलाकात करने का प्रयास की. पर मुलाकात नहीं हो सकी. जमीन विवाद के कारण नक्सली बनने की बात गलत है. गरीबी के कारण वह नक्सली बना था. सिलवंती ने कहा : शनिवार को कुछ लोगों ने बताया कि गुमला के चैनपुर में सिलवेस्टर मारा गया. इसके बाद रविवार को शव लेने आया. सिलवेस्टर का अंतिम संस्कार बसारटोली गांव में होगा.

परिवार के लिए कुछ नहीं किया
मृतक सिलवेस्टर का बेटा शीतल कुमार भगत अपनी मां के साथ शव ले जाने आया था. बड़ा बेटा है. उसने कहा कि जब वह 12 साल का था, तब उसके पिता घर से निकला था. पिता से मिलने की चाहत थी. कई बार प्रयास किया. लेकिन नाकाम रहा. तीन साल पहले किसी प्रकार कुछ लोगों से संपर्क कर अपने पिता से अंतिम बार मिला था. इसके बाद आज जब मर गये तो शव लेने आया हूं. शीतल ने कहा कि उसके और दो भाई शिवराज भगत व शिव कुमार भगत हैं. लेकिन वे लोग अभी बाहर मजदूरी करते हैं. वह खुद भी गांव में खेतीबारी व मजदूरी करता है. 15 साल तक नक्सली संगठन में रहा, लेकिन परिवार के लिए कुछ नहीं किया.
दिल्ली में सिलवेस्टर मजदूरी करता था
नक्सली संगठन में शामिल होने से पहले सिलवेस्टर दिल्ली में मजदूरी करता था. वह एक साल तक वहां रहा. इसके बाद जब वह लौटा तो 1983 ई में उसके पिता ने सिलवेस्टर की शादी सिलवंती से करा दी. शादी के बाद सिलवेस्टर गांव में ही खेतीबारी करता था. बरसात के मौसम के बाद वह मजदूरी भी करता था.

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