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राज्य में गोताखोरों की आवश्यकता : मत्स्य निदेशक

गोताखोरों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला वरीय संवाददातारांची. मत्स्य निदेशालय के एनएफडीबी कोषांग के तत्वावधान में गुरुवार को झास्कोफिश के सभागार में गोताखोरों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया. मत्स्य निदेशक राजीव कुमार ने कार्यशाला का उदघाटन करते हुए कहा कि राज्य में गोताखोरों की बहुत अधिक आवश्यकता […]

गोताखोरों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला वरीय संवाददातारांची. मत्स्य निदेशालय के एनएफडीबी कोषांग के तत्वावधान में गुरुवार को झास्कोफिश के सभागार में गोताखोरों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया. मत्स्य निदेशक राजीव कुमार ने कार्यशाला का उदघाटन करते हुए कहा कि राज्य में गोताखोरों की बहुत अधिक आवश्यकता है. प्रत्येक वर्ष डूबने से सैकड़ों लोगों की मौत होती है. नदी, जलाशय, खदानों तथा जल प्रपातों में प्रशिक्षित गोताखोरों की टीम को तैनात करना आज की जरूरत बन गयी है. आपदा प्रबंधन विभाग के कर्नल श्रीवास्तव, एनडीआरएफ के असिस्टेंट कमांडेंट योगेश व उनके साथ आये अधिकारियों ने गोताखोरों को तकनीकी जानकारी दी. बताया गया कि वज्रपात होने पर पानी में और लंबे पेड़ के नीचे रहना खतरनाक है. बादल घूमने और तेज हवा चलने लगे, तो सावधान हो जाना चाहिए. बटन तालाब में प्रशिक्षणार्थियों के तैरने की क्षमता की भी जांच की गयी. स्वास्थ्य जांच के बाद जो तैराक सफल पाये जायेंगे, उनको एनडीआरएफ प्रशिक्षित करेगी तथा उन्हें विभिन्न जिलों में नागरिक सुरक्षा के तहत स्वयंसेवक का दरजा देकर तैनात भी करेगी. झास्कोफिश के प्रबंध निदेशक आशीष कुमार ने कार्यक्रम का संचालन किया. कार्यशाला में सहकारिता प्रसार पदाधिकारी सुनील कुमार शाह, मुख्य अनुदेशक प्रदीप कुमार, मत्स्य प्रसार पदाधिकारी प्रशांत कुमार दीपक सहित बोकारो, रांची, पलामू, गढ़वा, लातेहार, खूंटी, गुमला, लोहरदगा के दर्जनों गोताखोर शामिल हुए.

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