जस्टिस एस चंद्रशेखर की अदालत ने बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान कहा : राज्यसभा चुनाव में वोट डालने का समय नजदीक है. विलंब से याचिका दायर कर प्रार्थी द्वारा स्पीकर के आदेश पर रोक लगाने की मांग करना उचित नहीं है. विधानसभाध्यक्ष ने 12 फरवरी 2015 को आदेश दिया था. लेकिन प्रार्थी ने 26 जून को याचिका दायर की है. प्रार्थी स्वयं राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उन्हें स्पीकर के आदेश के परिणामों की जानकारी होनी चाहिए थी.
झाविमो से टूट कर गये छह विधायकों को अगले आदेश तक भाजपा विधायक दल का सदस्य माना जाना संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है. विधानसभा सचिवालय और निर्वाचन आयोग की सूची में अंतर है. इसलिए इन छह विधायकों को राज्यसभा चुनाव में वोट डालने से रोका जाये.