नयी दिल्ली. दिल्ली की एक अदालत ने कहा है कि आमदनी में अंतर पर गौर किये बगैर कामकाजी महिला भी अलग रह रहे पति से गुजाराभत्ता पाने की हकदार है. अदालत ने पति की इस दलील को भी अस्वीकार कर दिया कि केवल वही महिला अंतरिम गुजाराभत्ता पाने की हकदार होती है, जो भुखमरी और गरीबी के कगार पर हो. अदालत ने कहा कि गुजारेभत्ते की राशि इतनी होनी चाहिए कि पति के साथ वाले ‘ओहदे व जीवनशैली’ को ध्यान में रखते हुए ‘तार्किक सहजता’ के साथ पत्नी रह सके. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मोनिका सरोहा ने कहा कि अंतरिम गुजाराभत्ता शिकायतकर्ता (महिला) को केवल गरीबी और भुखमरी से बचाने के लिए नहीं दिया जाता. बल्कि, यह उस स्थिति में भी देने का फैसला सुनाया जाता है, जहां पति के साथ शादी के कारण पत्नी एक खास स्तर का जीवन जीने की आदी हो गयी है. इसलिए उसे ऐसे ऐशोआराम की जिंदगी से वंचित नहीं किया जा सकता, जिसकी वह आदी हो गयी है. अदालत ने एक घरेलू हिंसा मामले में अलग रह रहे पति से अंतरिम गुजाराभत्ता मांगने की मांग वाली महिला की याचिका पर फैसला सुनाते हुए ये टिप्पणियां कीं. अदालत ने पत्नी को 35 हजार रुपये मासिक अंतरिम गुजाराभत्ता देने का आदेश दिया.
कामकाजी महिला भी गुजाराभत्ता पाने की हकदार : अदालत
नयी दिल्ली. दिल्ली की एक अदालत ने कहा है कि आमदनी में अंतर पर गौर किये बगैर कामकाजी महिला भी अलग रह रहे पति से गुजाराभत्ता पाने की हकदार है. अदालत ने पति की इस दलील को भी अस्वीकार कर दिया कि केवल वही महिला अंतरिम गुजाराभत्ता पाने की हकदार होती है, जो भुखमरी और […]
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