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प्रधान सचिव को उपस्थित होने का निर्देश
फूड सेफ्टी ऑफिसरों की नियुक्ति नहीं होने पर हाइकोर्ट नाराज रांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को दूध सहित अन्य खाद्य पदार्थो में हो रही मिलावट व बिक्री को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने राज्य सरकार के अधिकारियों की कार्य […]
फूड सेफ्टी ऑफिसरों की नियुक्ति नहीं होने पर हाइकोर्ट नाराज
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को दूध सहित अन्य खाद्य पदार्थो में हो रही मिलावट व बिक्री को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने राज्य सरकार के अधिकारियों की कार्य संस्कृति पर नाराजगी जताते हुए कड़ी फटकार लगायी.
खाद्य पदार्थो में मिलावट को जहर बताते हुए खंडपीठ ने राज्य में फूड सेफ्टी ऑफिसरों की नियुक्ति नहीं होने को गंभीरता से लिया. खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि झारखंड में सरकार के कार्य करने की मंशा स्पष्ट नहीं है. ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार अधिकारियों को नियुक्त ही नहीं करना चाहती है.
यह स्थिति सिर्फ स्वास्थ्य विभाग की नहीं है, बल्कि कई और विभागों की है, जहां नीति-नियम बनाने की गति काफी धीमी है. खंडपीठ ने यहां तक कह दिया कि यदि सरकार इस विभाग को नहीं चलाना चाहती है, तो इसे बंद कर देना चाहिए. हाइकोर्ट ही इसे चलायेगा. खंडपीठ ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को सशरीर हाजिर होने का निर्देश दिया.
प्रधान सचिव के नहीं आने की स्थिति में मामले की जानकारी रखनेवाले किसी वरीय अधिकारी को उपस्थित होने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने पूछा कि कोर्ट के आदेश के बावजूद फूड सेफ्टी कमिश्नर, एक्सपर्ट, फूड सेफ्टी ऑफिसरों की नियुक्ति अब तक क्यों नहीं की गयी है? मामले की अगली सुनवाई 29 जून को होगी.
इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता जय प्रकाश ने खंडपीठ को बताया कि पदों की स्वीकृति सरकार द्वारा दी जा चुकी है. फूड सेफ्टी ऑफिसरों की नियुक्ति के लिए सरकार नियमावली बना रही है. इसे शीघ्र बना कर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जायेगी.
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