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खत्म होगा इंस्पेक्टर राज, झारखंड सरकार ने सरल की प्रक्रिया, उद्योग-व्यवसाय अब आसान

सुनील चौधरी रांची : झारखंड में कई विभागों में इंस्पेक्टर राज समाप्त कर दिये गये हैं या उनके अधिकार सीमित कर दिये गये हैं. सरकार ने श्रम, पर्यावरण व ऊर्जा विभागों में पहले से चली आ रही जटिल प्रक्रियाओं को आसान कर दिया है. उद्यमियों, व्यवसायियों व आम जनता के हित में सुधार के कई […]

सुनील चौधरी
रांची : झारखंड में कई विभागों में इंस्पेक्टर राज समाप्त कर दिये गये हैं या उनके अधिकार सीमित कर दिये गये हैं. सरकार ने श्रम, पर्यावरण व ऊर्जा विभागों में पहले से चली आ रही जटिल प्रक्रियाओं को आसान कर दिया है. उद्यमियों, व्यवसायियों व आम जनता के हित में सुधार के कई उपाय किये हैं. प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया अभियान के तहत ‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’ योजना देश भर में लागू की गयी है. सेल्फ सर्टिफिकेशन, ऑनलाइन आवेदन जैसी सुविधा दी गयी है.
झारखंड सरकार ने भी कई कदम उठाये हैं, ताकि निवेशक यहां आसानी से निवेश कर सकें, उद्योग लगा सकें या व्यवसाय कर सकें. आम जनता के लिए भी बिजली कनेक्शन जैसे कार्य आसान किये गये हैं. व्यवसायियों को राहत देते हुए बाजार समिति शुल्क खत्म किया गया है. अनावश्यक निरीक्षण की प्रक्रिया को समाप्त किया गया है. इसे सरकार की अच्छी पहल माना जा रहा है.
बार-बार फैक्टरी के निरीक्षण से राहत
श्रम विभाग ने सेल्फ सर्टिफिकेशन कम कंसोलिडेटेड एनुअल रिटर्न स्कीम लागू की है. इसके तहत वैसे श्रम कानून, जो श्रमायुक्त द्वारा लागू कराये जाते थे, इसे कंपनियों व उद्योगों को स्वत: लागू करना है. अब समय-समय पर फैक्टरी के निरीक्षण से उद्योगों व व्यवसायियों को राहत मिलेगी. श्रम कानून को आसान और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से यह किया गया है. अब उद्यमियों को केवल सेल्फ सर्टिफिकेट देना होगा कि वह अपने संस्थान में सभी श्रम कानूनों का पालन कर रहे हैं.
इसके तहत उन्हें कामगारों के स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और कल्याण का ध्यान रखना होगा. अपने वार्षिक रिटर्न में कंपनी सुनिश्चित करेगी कि वह इन सब बातों का ध्यान रख रही है. अनुपालन से संबंधित सेल्फ सर्टिफिकेट से लघु और मध्यम उद्योगों को लाभ होगा और उन्हें अवैध दोहन से बचने का अवसर मिलेगा. उद्योगों में इंस्पेक्टर राज पर लगाम लगेगा.
सेल्फ सर्टिफिकेट में इनका अनुपालन
1. पेमेंट ऑफ वेज एक्ट 1936
2. मिनिमम वेज एक्ट 1948
3. कांट्रैक्ट लेबर (रेगुलेशन एंड एबोलिशन) एक्ट 1970
4. मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट 1961
5. पेमेंट ऑफ बोनस एक्ट 1965
6. पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट 1972
7. द इक्वल रिमुनरेशन एक्ट 1976
8. इंडस्ट्रियल इंप्लायमेंट एक्ट 1946
9. द झारखंड शॉप्स एंड इस्टैबलिशमेंट एक्ट 1953
10. द बिड़ी एंड सिगार वर्कर्स एक्ट 1966
11. द इंटर स्टेट माइग्रेंट वर्कमैन एक्ट 1979
12. द बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स एक्ट 1966
13. द मोटर ट्रांसपोर्ट वर्कर्स एक्ट 1961
14. द फैक्ट्रीज एक्ट 1948.
विद्युत इंस्पेक्टर के निरीक्षण से भी निजात
पहले उद्योग या व्यवसाय में बिजली का उपकरण लगाने पर विद्युत इंस्पेक्टर से एनओसी लेना पड़ता था. इसमें महीनों लग जाते थे. साल में एक बार विद्युत इंस्पेक्टर निरीक्षण करते थे. अब उद्योग व व्यवसायियों को जहां बिजली उपकरण ज्यादा लगे हैं, उन्हें चार्टर्ड इलेक्ट्रिकल सेफ्टी इंजीनियर की नियुक्ति करनी होगी. वह निर्धारित प्रारूप में स्व-प्रमाणित सर्टिफिकेट विद्युत इंस्पेक्टर के पास भेजेगा.
वन टाइम एनओसी
प्रदूषण बोर्ड में वन टाइम एनओसी सिस्टम लागू की गयी है. अब हर साल पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए उद्यमियों को बार-बार प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के दफ्तर के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. एक ही बार में उन्हें कंसेंट टू ऑपरेट दे दिया जायेगा. इसकी अवधि कम से कम पांच वर्षो के लिए होगी. पर्षद में ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू की गयी है. सबकी जवाबदेही तय की गयी है कि पर्षद के किस अधिकारी के पास कितने दिनों तक फाइल रह सकती है.
अब नौ दिनों में बिजली कनेक्शन
बिजली कनेक्शन के लिए समय सीमा तय कर दी गयी है. घरेलू उपभोक्ताओं को आवेदन के नौ दिनों के भीतर बिजली कनेक्शन मिलेगा. चार किलोवाट लोडवाले उपभोक्ताओं को कनेक्शन देने के लिए कनीय अभियंता को जवाबदेह बनाया गया है. वहीं 30 किलोवाट तक के उपभोक्ता के लिए सहायक अभियंता व इससे अधिक लोडवालों के लिए कार्यपालक अभियंता को जवाबदेह बनाया गया है.
एचटी उपभोक्ता के लिए अधीक्षण अभियंता व इएचटी के लिए जीएम को जवाबदेह बनाया गया है. बिना कारण निर्धारित अवधि तक आवेदन का निस्तारण नहीं किये जाने पर दंड का प्रावधान किया गया है. इससे राज्य में लघु व मध्यम उद्योग, व्यवसाय व आम जनता को बिजली विभाग का अनावश्यक चक्कर काटने से मुक्ति मिलेगी.
सेल्फ लोड डिस्क्लोज स्कीम
बिजली विभाग में भी सेल्फ लोड डिस्क्लोज स्कीम लायी गयी है. इसके तहत अब घरेलू या वाणिज्यिक बिजली उपभोक्ता खुद निर्धारित फॉर्म में लोड का आकलन कर इसे बिजली विभाग को सौंपेगा. विभाग उनके आकलन के आधार पर ही फिक्स्ड चार्ज ले सकेगा. पूरे राज्य में यह योजना लागू की गयी है. पहले बिजली बोर्ड के अभियंता यह काम करते थे, कई बार उपभोक्ताओं को परेशानी होती थी.
मोबाइल दारोगा व्यवस्था समाप्त : रघुवर सरकार ने सबसे पहले मोबाइल दारोगा की अवैध वसूली पर लगाम लगायी. उनके सारे अधिकार वाणिज्यकर पदाधिकारियों को दे दिया गया है. अब वे परमिट की भी जांच कर सकेंगे.
कृषि बाजार समिति से टैक्स वसूली समाप्त : बाजार समिति शुल्क हटा दिया गया है. समिति में जांच चौकी की स्थापना, लेखा पेश करने का आदेश देने, प्रवेश कर का निरीक्षण व गाड़ी रोकने संबंधी अधिकार खत्म कर दिया गया है. पहले बाजार शुल्क के रूप में एक फीसदी राशि ली जाती थी.

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