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हजारीबाग गैंगवार : 20 साल से चल रही थी वर्चस्व की लड़ाई
भुरकुंडा, पतरातू, कुजू व खलारी कोयलांचल में रंगदारी को लेकर था तनाव रांची : रामगढ़ के कुजू, भुरकुंडा, पतरातू और खलारी इलाके में वर्चस्व को लेकर भोला पांडेय और सुशील श्रीवास्तव के बीच 20 साल पहले ही वर्चस्व की लड़ाई शुरू हुई थी. इस लड़ाई में अब तक कई लोगों की हत्या हुई. भोला पांडेय, […]
भुरकुंडा, पतरातू, कुजू व खलारी कोयलांचल में रंगदारी को लेकर था तनाव
रांची : रामगढ़ के कुजू, भुरकुंडा, पतरातू और खलारी इलाके में वर्चस्व को लेकर भोला पांडेय और सुशील श्रीवास्तव के बीच 20 साल पहले ही वर्चस्व की लड़ाई शुरू हुई थी. इस लड़ाई में अब तक कई लोगों की हत्या हुई. भोला पांडेय, अमरेंद्र तिवारी, किशोर पांडेय बड़े नाम थे. वर्चस्व की लड़ाई में दोनों गिरोहों के करीब एक दर्जन छोटे अपराधी भी मारे गये. वर्ष 2010 में सुशील श्रीवास्तव की पत्नी मीनू श्रीवास्तव पर रांची के अरगोड़ा क्षेत्र में गोली चली थी.
उसकी साल सुशील श्रीवास्तव के भाई को मारने पहुंचे दो अपराधियों को पुलिस ने हिनू में मुठभेड़ में मार गिराया था. वर्ष 2009 में भोला पांडेय की हत्या दुमका जेल से रांची लाने के दौरान शूटर अमरेंद्र तिवारी ने कर दी थी. बाद में अमरेंद्र तिवारी भी मारा गया. वर्ष 2014 में 15 अक्तूबर को जमशेदपुर में किशोर पांडेय की हत्या कर दी गयी.
वर्ष 1990 में भोला पांडेय गिरोह में शामिल हुआ था: सुशील श्रीवास्तव रांची के अरगोड़ा क्षेत्र का रहनेवाला था.यहां छोटा-मोटा अपराध करता था. बाद में वह कुख्यात अपराधी बालगोविंद तिवारी के लिए काम करने लगा था. बालगोविंद तिवारी देवघर में पुलिस इनकाउंटर में मारा गया था. उसके मारे जाने के बाद वर्ष 1990-91 में सुशील श्रीवास्तव पतरातू चला गया. वहां भोला पांडेय के गिरोह के लिए काम करने लगा. इस दौरान सुशील श्रीवास्तव ने स्क्रैप व कोयला कारोबारियों से रंगदारी वसूलने के तौर-तरीकों को नजदीक से जाना. वर्ष 1995-96 में उसने पतरातू में स्क्रैप कारोबारी कमालिया की हत्या कर दी.
इसके बाद उसका नाम अपराध की दुनिया में सुर्खियों में आया. उस वक्त गुप्तेश्वर पांडेय हजारीबाग के एसपी थे. उन्होंने सुशील श्रीवास्तव को रामगढ़ के ब्लू डायमंड होटल के कमरे से गिरफ्तार किया. पुलिस की पिटाई से सुशील श्रीवास्तव का एक पैर भी टूट गया था.
रंगदारी की रकम को लेकर शुरू हुई थी वर्चस्व की लड़ाई: हजारीबाग जेल में रहते हुए वह कुछ दिन के लिए रांची जेल लाया गया. यहां सुशील श्रीवास्तव की दोस्ती जेल में बंद गैंगस्टर अनिल शर्मा से हुई. उसी दौरान रांची जेल में भोमा सिंह की हत्या कर दी गयी. इस हत्याकांड में अनिल शर्मा के साथ-साथ सुशील श्रीवास्तव को भी अभियुक्त बनाया गया था.
भोमा हत्याकांड में दोनों को आजीवन कारावास की सजा हुई. इसी मामले में सुशील हजारीबाग जेल में बंद था. अनिल शर्मा से दोस्ती के कारण सुशील श्रीवास्तव ने भोला पांडेय से संबंध तोड़ लिया. उसके बाद भुरकुंडा और पतरातू इलाके में भोला पांडेय गिरोह के समानांतर अपना गिरोह तैयार कर रंगदारी वसूलने लगा. यहीं से दोनों गिरोह के बीच वर्चस्व की लड़ाई शुरू हुई थी.
किशोर की हत्या के बाद विकास बना गिरोह का मुखिया
किशोर पांडेय की हत्या के बाद सुशील श्रीवास्तव गिरोह के गुर्गो ने भुरकुंडा, पतरातू व खलारी में वर्चस्व कायम करना शुरू कर दिया. जेल के भीतर से ही सुशील श्रीवास्तव ने कई कोयला कारोबारियों को फोन कर कहा कि किशोर पांडेय की हत्या के बाद वह अब दोनों गिरोह के लिए रंगदारी वसूलेगा.
दूसरी तरफ विकास पांडेय (भोला व किशोर का रिश्तेदार) ने गिरोह का काम संभाल लिया था. उसने सुशील श्रीवास्तव गिरोह से बदला लेने की तैयारी शुरू कर दी थी. इसी दौरान इस साल की शुरुआत में विकास तिवारी ने सुशील के खास मनोज गुप्ता पर बड़कागांव में फायरिंग की. इसमें मनोज गुप्ता तो बच गया, लेकिन उसका अंगरक्षक और चालक मारा गया.
सुशील श्रीवास्तव की पत्नी पर हुई थी फायरिंग
भोला पांडेय की हत्या के बाद किशोर पांडेय गिरोह का सरगना बना. सुशील श्रीवास्तव जेल में बंद था और किशोर पांडेय बदले की आग में जल रहा था.
उसने रांची में अरगोड़ा में सुशील श्रीवास्तव की पत्नी पर गोली चलवायी, हालांकि उसकी जान बच गयी. सुशील के भाई को मारने के लिए किशोर पांडेय ने ही दो अपराधियों को हिनू स्थित उनके घर पर भेजा था, लेकिन इसकी सूचना पुलिस को मिल गयी थी. ऐन मौके पर पुलिस ने सुशील श्रीवास्तव के भाई के घर पर पहुंच कर उनकी जान बचायी और दोनों शूटरों को वहीं ढेर कर दिया था.
दुमका जेल से रांची लाने के दौरान हुई थी भोला पांडेय की हत्या
वर्ष 2008 में रामगढ़ व रांची में अमरेंद्र तिवारी नामक शूटर की तूती बोलती थी. अमरेंद्र तिवारी ने सुशील श्रीवास्तव से हाथ मिला लिया था. सुशील श्रीवास्तव जेल में बंद था, लेकिन अमरेंद्र तिवारी जेल के बाहर.
सुशील श्रीवास्तव हर हाल में भोला पांडेय व उसके गिरोह को खत्म करना चाहता था. उसने इसके लिए अमरेंद्र तिवारी से बात की. वर्ष 2009 में दुमका से रांची लाने के क्रम में एक लाइन होटल में जब पुलिसकर्मी और भोला पांडेय खाना खाने रुके थे, भोला पांडेय शौच करने लिए होटल के पीछे गया था. तभी अमरेंद्र तिवारी ने भोला पांडेय की हत्या कर दी थी. हालांकि भोला पांडेय की हत्या करने के बाद अमरेंद्र तिवारी ने पत्रकारों को फोन करके बताया था कि उसने अलग गिरोह बना लिया है. बाद में पुलिस ने अमरेंद्र तिवारी को गिरफ्तार किया. अमरेंद्र तिवारी अभी हजारीबाग जेल में बंद है.
जमशेदपुर में हुई थी किशोर पांडेय की हत्या
भोला पांडेय की हत्या के बाद किशोर पांडेय गिरोह का संचालन करने लगा. उसने अपने परिवार को जमशेदपुर में रखा था. 15 अक्तूबर 2014 को जमशेदपुर के कदमा इलाके में वह अपने परिवार के लिए मुर्गा खरीदने गया था, तभी अपराधियों ने गोली मार कर उसकी हत्या कर दी.
इस घटना में किशोर पांडेय के अलावा उसका अंगरक्षक भी मारा गया था, जबकि चालक घायल हो गया था. चालक के बयान और किशोर पांडेय की पत्नी के बयान पर जमशेदपुर पुलिस ने जेल में बंद सुशील श्रीवास्तव समेत अन्य अपराधियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की.
मेडिका अस्पताल में दिन भर रही गहमा-गहमी
रांची : हजारीबाग कोर्ट परिसर में गोलीबारी के बाद भी गैंगस्टर सुशील श्रीवास्तव कुछ देर तक जिंदा था. गंभीरावस्था में उसे हजारीबाग सदर अस्पताल ले जाया गया, जहां के चिकित्सकों ने बेहतर इलाज के लिए उसे रांची स्थित रिम्स रेफर कर दिया. सुशील श्रीवास्तव के पुत्र व अन्य परिजन दिन के करीब एक बजे उसे लेकर सीधे मेडिका अस्पताल पहुंचे.
वहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया. सुशील श्रीवास्तव के मेडिका पहुंचने के बाद वहां मीडिया के लोग भी पहुंच गये, लेकिन सुशील श्रीवास्तव के परिजनों ने मीडिया को शव के पास नहीं पहुंचने दिया. बाद में मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में शाम के करीब पांच बजे मेडिका अस्पताल में सुशील श्रीवास्तव के शव का पंचनामा किया गया.
इसके बाद सदर थाने की पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए रिम्स भेज दिया. इधर, मेडिका अस्पताल के बाहर भी काफी संख्या में भीड़ जुट गयी थी. हर आने-जानेवाले लोग भीड़ देख रुक जा रहे थे.
कोर्ट परिसर में गोलीबारी की दूसरी घटना
रांची : हजारीबाग कोर्ट परिसर में गोलीबारी और बमबाजी की यह दूसरी घटना है. करीब सात-आठ साल पहले भी किशोर पांडेय (अब मृत) ने हजारीबाग कोर्ट परिसर में गोलीबारी की थी. उस वक्त वह बम विस्फोट करने के बाद फायरिंग करते हुए फरार हो गया था. बाद में उसे कोलकाता से गिरफ्तार किया गया था. जानकारी के मुताबिक किशोर पांडेय हजारीबाग जेल में बंद था. पतरातू थाने में दर्ज एक मामले में किशोर पांडेय की अदालत में पेशी थी.
पुलिस उसे जेल से लेकर कोर्ट पहुंची थी. किशोर पांडेय ने फरार होने की योजना पहले ही बना ली थी. योजना के तहत उसके गिरोह के कई अपराधी बम व हथियार के साथ पहले से ही कोर्ट परिसर में मौजूद थे. किशोर पांडेय को जब पुलिस पेशी के लिए कोर्ट हाजत से कोर्ट में ले जा रही थी, तभी उसके साथियों ने बम फोड़ना शुरू कर दिया, जिसका फायदा उठाते हुए किशोर पांडेय पुलिस के कब्जे से छूट गया अपने साथियों के पास पहुंच गया.
उसके बाद वह फायरिंग करते हुए फरार हो गया था. उस दिन किशोर पांडेय के साथ करीब एक दर्जन अपराधी फरार हुए थे. जिनमें से कई ने बाद में खुद को पुलिस के हवाले कर दिया था, जबकि कई को पुलिस ने गिरफ्तार किया था.
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