मुंबई. बंबई हाइकोर्ट ने जालीनोट के मामले में एक व्यक्ति के दोषसिद्धि और पांच साल की कैद की सजा दरकिनार करते हुए कहा कि महज जाली नोट किसी के पास होने को अपराध नहीं ठहराया जा सकता और अभियोजन पक्ष को यह साबित करने की जरूरत है कि उस व्यक्ति को यह मालूम था कि नोट जाली थे. जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई ने मुंशी मोहम्मद शेख की अपील की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. मुंंशी ने सत्र अदालत के आदेश को हाइकोर्ट में चुनौती दी है. सत्र अदालत ने उसे जाली नोट रखने के मामले में भादसं की धाराएं 489 (बी) और 489 (सी) के तहत दोषी ठहराया था और उसे पांच साल की कैद की सजा सुनायी थी.
महज जाली नोट होना अपराध नहीं : हाइकोर्ट
मुंबई. बंबई हाइकोर्ट ने जालीनोट के मामले में एक व्यक्ति के दोषसिद्धि और पांच साल की कैद की सजा दरकिनार करते हुए कहा कि महज जाली नोट किसी के पास होने को अपराध नहीं ठहराया जा सकता और अभियोजन पक्ष को यह साबित करने की जरूरत है कि उस व्यक्ति को यह मालूम था कि […]
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