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ऑनलाइन ज्योतिष काउंसलिंग

काल सर्प योग से वैवाहिक जीवन में आती है समस्यारांची. मंगलवार को प्रभात खबर कार्यालय में ऑनलाइन ज्योतिष काउंसलिंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के दौरान ज्योतिष अजय मिश्रा ने पाठकों के सवालों के जवाब दिये. उन्होंने बताया कि यदि वक्री गुरु जातक की कुंडली में होते हैं, तो जातक जल्दबाजी में विश्वास नहीं […]

काल सर्प योग से वैवाहिक जीवन में आती है समस्यारांची. मंगलवार को प्रभात खबर कार्यालय में ऑनलाइन ज्योतिष काउंसलिंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के दौरान ज्योतिष अजय मिश्रा ने पाठकों के सवालों के जवाब दिये. उन्होंने बताया कि यदि वक्री गुरु जातक की कुंडली में होते हैं, तो जातक जल्दबाजी में विश्वास नहीं रखते हैं. ऐसे जातक धैर्य तथा गंभीरता से काम करते हैं. विवाह संबंधी सवालों के जवाब में उन्होंने बताया कि विवाह में मुख्य बाधा होने के दो कारक हैं. कुंडली में मांगलिक दोष तथा काल सर्प का योग होने से जातक या जातिक को विवाह में देरी होती है. ऐसा भी देखा गया है कि ऐसे दोष की उपस्थिति से विवाह के बाद भी पारिवारिक कलह बना रहता है. ऐसे दोष को दूर करना आवश्यक होता है. मांगलिक और काल सर्प दोष को ज्योतिष विज्ञान में क्रूरता तथा पापमय की संज्ञा दी गयी है. इन ग्रहों की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप जरूरी होता है. साथ ही लग्नेश तथा भाग्येश ग्रहों के रत्न धारण करने से जातक व जातिका को शीघ्र ही पारिवारिक जीवन में सफलता मिलती है तथा शांति बनी रहती है. शनि की साढ़े साती से संबंधित प्रश्न पर परामर्श देते हुए उन्होंने बताया कि शनि गोचर वश एवं राशि में लगभग ढाई वर्षों तक बना रहता है. जन्मकालीन चंद्रमा से द्वादश भाव शनि का आगमन साढ़े साती माना जाता है. इससे व्यक्ति को रोग, शत्रु का भय, भाग्य में कमी, धन संपदा, कुटुंब सुख की हानि होती है. सभी जातक के लिए शनि की साढ़े साती समूची अवधि में एक समान फल नहीं देता है. जन्म कुंडली में शनि यदि मजबूत है या शुभ स्थान पर है, तो यह अच्छा फल भी देता है.

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