कविता : निपु सिंह, बूटी तुम्हें अपने दिल में बसाये रखता हूंपूरे दुनिया को भुलाये रखता हूंतुझे मेरी नजर न लगे इसलिएअपनी नजर झुकाये रखता हूंतेरे चोट को मैं अपना दर्द बनाये रखता हूंलाखों गलतियों को माफ कर तुझे अपने दिल में बसाये रखता हूं
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मां तुम मेरी यादों में…
कविता : निपु सिंह, बूटी तुम्हें अपने दिल में बसाये रखता हूंपूरे दुनिया को भुलाये रखता हूंतुझे मेरी नजर न लगे इसलिएअपनी नजर झुकाये रखता हूंतेरे चोट को मैं अपना दर्द बनाये रखता हूंलाखों गलतियों को माफ कर तुझे अपने दिल में बसाये रखता हूं
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