एजेंसियां, वाशिंगटनशोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि मंगल ग्रह की यात्रा करने वाले अंतरिक्षयात्री के दिमाग पर विनाशकारी अंतरिक्षीय विकिरणों का प्रहार होने से उन्हें हमेशा के लिए मनोभ्रंश यानी इरिवर्सबल डिमेंशिया हो सकता है. जिन शोधकर्ताओं ने यह चेतावनी दी है उनमें कुछ भारतीय मूल के भी हैं.शोधकर्ताओं ने पाया कि अत्यंत ऊर्जावान आवेशित कणों के संपर्क में आने से केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर काफी बुरा असर पड़ता है जिससे सोचने-समझने की क्षमता को नुकसान हो सकता है. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, इरवाइन (यूसीआइ) के प्रोफेसर चार्ल्स लिमोली ने कहा, यह उन अंतरिक्षयात्रियों के लिए बुरी खबर है जो दो-तीन साल के लिए मंगल की यात्रा पर हैं. लिमोली ने कहा, अंतरिक्ष में उड़ान के दौरान काम करने की क्षमता में गिरावट आती है. याद्दाश्त में कमी आती है. जागरुकता एवं फोकस का स्तर कम होता है. इससे मिशन के लिए निर्णायक गतिविधियों पर प्रभाव पड़ता है और इन कणों के संपर्क में आने पर ताउम्र के लिए सोचने-समझने की क्षमता को नुकसान हो सकता है.
‘मंगलयात्री’ कॉस्मिक किरणों से हो सकते हैं डिमेंशिया के शिकार
एजेंसियां, वाशिंगटनशोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि मंगल ग्रह की यात्रा करने वाले अंतरिक्षयात्री के दिमाग पर विनाशकारी अंतरिक्षीय विकिरणों का प्रहार होने से उन्हें हमेशा के लिए मनोभ्रंश यानी इरिवर्सबल डिमेंशिया हो सकता है. जिन शोधकर्ताओं ने यह चेतावनी दी है उनमें कुछ भारतीय मूल के भी हैं.शोधकर्ताओं ने पाया कि अत्यंत ऊर्जावान आवेशित […]
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