बेंगलुरु. हाल ही में उच्च क्षमता वाले क्रायोजेनिक इंजन के सफलतापूर्वक परीक्षण के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इसकी डिजायन और क्षमता को प्रमाणित करने के लिए शृंखलाबद्ध विकास परीक्षण किये. इसरो ने कहा कि तमिलनाडु के महेंद्रगिरी में इसरो के प्रोपल्सन कांप्लैक्स में 28 अप्रैल को क्रायोजेनिक इंजन (सीई-20) का दीर्घकालिक परीक्षण (635 सेकेंड) सफलतापूर्वक संपन्न किया गया. नयी पीढ़ी के प्रक्षेपण यान जीएसएलवी एमके3 के विकास में यह उपलब्धि एक मील का पत्थर साबित होगी. इसरो ने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट किया है कि सीई-20 क्रायोजेनिक इंजन का विकास इसरो ने घरेलू तौर पर किया है जो जीएसएलवी एमके-3 प्रक्षेपण यान को शक्ति प्रदान करेगा. इसमें कहा गया है कि लंबे समय के परीक्षण के सफलतापूर्वक पूरा होने से एक बार फिर जटिल क्रायोजेनिक तकनीक के विकास में इसरो की क्षमता साबित हो गयी है. इसी के साथ इसरो ने इन परीक्षणों की विस्तृत जानकारी को भी साझा किया है. इस इंजन के विकास से भारत को चार टन तक वजनी उपग्रहों को पृथ्वी की भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित करने में मदद मिलेगी.
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इसरो ने किए क्रायोजेनिक इंजन के विकासात्मक परीक्षण
बेंगलुरु. हाल ही में उच्च क्षमता वाले क्रायोजेनिक इंजन के सफलतापूर्वक परीक्षण के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इसकी डिजायन और क्षमता को प्रमाणित करने के लिए शृंखलाबद्ध विकास परीक्षण किये. इसरो ने कहा कि तमिलनाडु के महेंद्रगिरी में इसरो के प्रोपल्सन कांप्लैक्स में 28 अप्रैल को क्रायोजेनिक इंजन (सीई-20) का दीर्घकालिक परीक्षण […]
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