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अधिवक्ताओं की समस्याएं अधिक
जस्टिस एमवाइ इकबाल ने कहा, निचली अदालतों में रांची : सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमवाइ इकबाल ने कहा कि निचली अदालतों में प्रैक्टिस करनेवाले अधिवक्ताओं को कई समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है. उन्हें न तो सीनियर मिलते हैं और न ही संसाधन ही मिल पाता है. मुफस्सिल कोर्ट में अधिवक्ताओं को सुविधा मिले. सरकारों […]
जस्टिस एमवाइ इकबाल ने कहा, निचली अदालतों में
रांची : सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमवाइ इकबाल ने कहा कि निचली अदालतों में प्रैक्टिस करनेवाले अधिवक्ताओं को कई समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है. उन्हें न तो सीनियर मिलते हैं और न ही संसाधन ही मिल पाता है.
मुफस्सिल कोर्ट में अधिवक्ताओं को सुविधा मिले. सरकारों को आधारभूत सुविधा उपलब्ध कराने पर ध्यान देना चाहिए. जस्टिस इकबाल शनिवार को बतौर मुख्य अतिथि मोरहाबादी स्थित रांची विवि के आर्यभट्ट सभागार में आयोजित नेशनल सेमिनार ऑन प्रैक्टिकल आस्पेक्ट ऑफ प्रैक्टिसेस को संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम का आयोजन बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) की ओर से आयोजित किया गया था.
उन्होंने कहा कि इसके लिए बीसीआइ को भी आगे आना चाहिए. झारखंड में 24000 अधिवक्ता नियमित प्रैक्टिस करते हैं. आर्थिक समस्या होती है. लाइब्रेरी में पुस्तकें नहीं मिल पातीं. स्टडी सेंटर भी नहीं हैं. जस्टिस इकबाल ने कहा कि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से शिक्षा लेने के बाद अधिवक्ता मुफस्सिल कोर्ट में वकालत की शुरुआत करें.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस वी गोपाल गौड़ा ने कहा कि बार ज्यूडिसियरी का महत्वपूर्ण हिस्सा है. जजेज, रेगुलेटरी ऑथोरिटी एवं एडवोकेट्स त्रिवेणी संगम जैसे हैं. उन्होंने कहा कि ग्रामीण भारत के एससी, एसटी व ओबीसी क्षेत्र के अधिवक्ताओं का हौसला
बढ़ाया जाये.
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस आर भानुमति ने कहा कि वकालत के पेशे को महान माना गया है. प्रैक्टिस के दौरान अधिवक्ता के लिए लीगल नॉलेज के साथ बेहतर तरीके से प्रजेंटेशन जरूरी है. पटना हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस एलएन रेड्डी ने कहा कि आज अधिवक्ताओं के समक्ष कई चुनौतियां हैं.
चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए व्यावहारिक कठिनाइयों को दूर करना होगा. सुप्रीम कोर्ट की वरीय अधिवक्ता पिंकी आनंद ने भी अपने विचार रखे. जस्टिस इकबाल ने विद्यार्थी अर्चना, साधना, स्वाति, इम्तियाज आदि को पुस्तक प्रदान की. बीसीआइ की मासिक पत्रिका का विमोचन किया गया.
डायरेक्टरेट ऑफ लीगल रिफॉर्म की स्थापना होगी :
बीसीआइ के अध्यक्ष एमके मिश्र ने कहा कि डायरेक्टरेट ऑफ लीगल रिफार्म की स्थापना की जायेगी. बिहार, झारखंड, ओड़िशा काफी पिछड़े राज्य है. अधिवक्ताओं को बैठने की जगह नहीं है. अधिवक्ता बार से जुड़ते ही समस्या से जूझने लगते हैं. सीनियर से पूरा सहयोग नहीं मिल पाता है.
वकालत के पेशे में अनुशासन जरूरी : चीफ जस्टिस
झारखंड हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह ने कहा कि वकालत बिजनेस नहीं है. इस पेशे में पेशेवर अनुशासन अनिवार्य है.
कानून के तहत बेहतर प्रजेंटेशन से सफलता मिलती है. प्रैक्टिस के दौरान आनेवाली व्यावहारिक कठिनाइयों से नहीं घबराना चाहिए. चाहे केस हो या न हो, युवा अधिवक्ताओं को नियमित रूप से कोर्ट में उपस्थित रहना चाहिए. केस न हो, तो अखबार पढ़ें, जानकारी बढ़ाएं. लंबे समय में इसका लाभ मिलेगा.
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