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एआइसीटीइ का फैसला
संजीव सिंह रांची : एआइसीटीइ (ऑल इ¨डया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन) ने निलय एजुकेशनल ट्रस्ट एंड ग्रुप ऑफ इंस्टीटय़ूशंस की मान्यता समाप्त कर दी है. राज्य सरकार व रांची विवि को निर्देश दिया है कि उक्त संस्थान के विद्यार्थियों को एआइसीटीइ से संबद्ध अन्य संस्थानों में यथाशीघ्र शिफ्ट कर दें. एआइसीटीइ का कहना है कि […]
संजीव सिंह
रांची : एआइसीटीइ (ऑल इ¨डया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन) ने निलय एजुकेशनल ट्रस्ट एंड ग्रुप ऑफ इंस्टीटय़ूशंस की मान्यता समाप्त कर दी है. राज्य सरकार व रांची विवि को निर्देश दिया है कि उक्त संस्थान के विद्यार्थियों को एआइसीटीइ से संबद्ध अन्य संस्थानों में यथाशीघ्र शिफ्ट कर दें.
एआइसीटीइ का कहना है कि मान्यता प्राप्त करने के लिए निलय ट्रस्ट द्वारा गलत हलफनामा दायर किया गया था. एआइसीटीइ ने अपनी जांच रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि निलय एजुकेशनल ट्रस्ट के नाम से खरीदी गयी जमीन पर कर्ज नहीं लिया गया है, जबकि इसके प्रमोटर मनीष कुमार (पिता भीम मुंडा) द्वारा निलय इंटरनेशनल कॉलेज के नाम पर 25 करोड़ रुपये का कर्ज हुडको से स्वीकृत कराया है.
मनीष कुमार ड्रीम कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े हुए हैं. संस्थान की ओर से कहा गया था कि ड्रीम कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 11.95 एकड़ जमीन ठाकुरगांव, बुढ़मू में 2008 में खरीदी गयी है.
ड्रीम कंसलटेंट एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है, जबकि एआइसीटीइ से इस कंपनी द्वारा हुडको से वर्ष 2007 में कर्ज लेने की जानकारी छिपायी गयी. हुडको के क्षेत्रीय प्रमुख ने आठ अगस्त 2014 को ड्रीम कंसलटेंट की ओर से लिए गये कर्ज के बाबत कारण बताओ नोटिस जारी किया था. इसकी एक प्रति एआइसीटीइ को भी दी गयी थी.
निलय इंटरनेशनल कॉलेज के नाम पर हुडको ने 25 करोड़ रुपये का कर्ज ड्रीम कंसलटेंट के नाम पर स्वीकृत किया था, जबकि पांच करोड़ रुपये निलय एजुकेशनल ट्रस्ट के भवन व आधारभूत संरचना के लिए खर्च कर दिया गया.
जिसमें निलय इंटरनेशल यूनिवर्सिटी मलेशिया द्वारा कर्ज की राशि का भुगतान करने का जिक्र किया गया था. कर्ज के लिए 1329 डिसमिल जमीन को बंधक रखा गया था. जब एआइसीटइ ने इसकी जांच करायी, तो पता चला कि ड्रीम कंसलटेंट ने 2007 नवंबर में ही हुडको को यह जमीन बंधक में रख दिया था.
कर्ज लेनेवाली संस्था ने बार-बार यही दोहराया कि निलय एजुकेशनल ट्रस्ट के लिए यह जमीन बंधक रखी गयी है, जिसे 2008 में संस्थान को बेचा गया. हुडको द्वारा 25 मई 2009 को इस जमीन से संबंधित सेल डीड पर प्रश्न चिह्न् उठाते हुए इसे रद्द करने का नोटिस दिया था.
जुलाई 2010 में डीआरटी रांची में 15 जुलाई 2010 को 18.96 करोड़ के कर्ज की राशि की वसूली का मुकदमा भी कर दिया गया. फिलहाल एआइसीटीइ के निर्देश पर झारखंड के विज्ञान एवं प्रावैधिकी विभाग ने आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी है, जबकि एआइसीटीइ ने निलय एजुकेशनल ट्रस्ट के अध्यक्ष को एआइसीटीइ के जवाब देने का निर्देश दिया है.
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