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45 हजार विद्यार्थियों को छोड़ना होगा जिला

15 जिलों में मैट्रिक पास विद्यार्थियों से कम इंटर की सीट, नामांकन में होती है परेशानी मैट्रिक पास करनेवालों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी जिले में मैट्रिक पास करने के बाद कई छात्र छोड़ देते हैं आगे की पढ़ाई राज्य गठन के बाद सरकारी कॉलेज नहीं खुला रांची : मैट्रिक पास लगभग 45 हजार […]

15 जिलों में मैट्रिक पास विद्यार्थियों से कम इंटर की सीट, नामांकन में होती है परेशानी
मैट्रिक पास करनेवालों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी
जिले में मैट्रिक पास करने के बाद कई छात्र छोड़ देते हैं आगे की पढ़ाई
राज्य गठन के बाद सरकारी कॉलेज नहीं खुला
रांची : मैट्रिक पास लगभग 45 हजार विद्यार्थियों कोइंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए अपना जिला छोड़ना होगा. जिला नहीं छोड़ने की स्थिति में विद्यार्थी आगे की पढ़ाई नहीं कर सकेंगे. वर्ष 2015 में जिलावार मैट्रिक पास परीक्षार्थी व जिलों में इंटर की सीट को देखा जाये, तो राज्य के 15 जिलों में मैट्रिक पास परीक्षार्थी की तुलना में इंटर की सीट कम है. राज्य के 24 जिलों में से 15 जिलों में मैट्रिक पास विद्यार्थी की तुलना में लगभग 45 हजार सीट कम है.
इन जिलों के सभी विद्यार्थी चाह कर भी अपने जिले से आगे की पढ़ाई नहीं कर सकते. सीट कम होने के कारण मैट्रिक पास विद्यार्थियों को इंटर में नामांकन में काफी परेशानी होती है.
दूसरे जिलों में नामांकन कराने के कारण पढ़ाई का खर्च भी बढ़ जाता है. छात्रओं को तो पढ़ाई भी छोड़नी पड़ती है. राज्य गठन के बाद राज्य में इंटर की पढ़ाई के लिए एक भी सरकारी कॉलेज नहीं खुला, जबकि मैट्रिक परीक्षा में शामिल होनेवाले विद्यार्थियों की संख्या लगभग दोगुनी हो गयी है. इस कारण विद्यार्थी को इंटर में नामांकन में काफी परेशानी होती है.
राज्य में मैट्रिक परीक्षा में शामिल व पास होने वाले परीक्षार्थियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. जिस अनुपात में परीक्षार्थियों की संख्या बढ़ रही है, उस अनुपात में सरकारी कॉलेज नहीं खुले. लातेहार के छह हजार से अधिक परीक्षार्थी परीक्षा में सफल हुए हैं, जबकि वहां एक भी सरकारी कॉलेज नहीं है. राज्य गठन के बाद सरकार द्वारा प्लस टू विद्यालय खोले गये हैं, पर विद्यालयों में शिक्षक व संसाधन का काफी अभाव है. इस कारण विद्यार्थी प्लस टू उच्च विद्यालय में नामांकन लेने से कतराते हैं.
1.61 लाख बढ़े सफल परीक्षार्थी : राज्य में मैट्रिक पास करनेवाले विद्यार्थियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.
वर्ष 2005 की तुलना में 1.61 लाख अधिक विद्यार्थी मैट्रिक परीक्षा में सफल हुए हैं. एक ओर विद्यार्थी की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, वहीं दूसरी ओर राज्य गठन के बाद राज्य में इंटर की पढ़ाई के लिए एक भी सरकारी कॉलेज नहीं खुला. इस कारण विद्यार्थियों को इंटर में नामांकन में काफी परेशानी होती है.
इन जिलों में पास परीक्षार्थियों से कम सीट
राज्य के 15 जिलों में मैट्रिक पास परीक्षार्थी की तुलना में इंटर में सीट कम है. गुमला, लोहरदगा, पलामू, गढ़वा, प सिंहभूम, सरायकेला, लातेहार, चतरा, कोडरमा, बोकारो, गिरिडीह, देवघर, जामताड़ा, साहेबगंज व पाकुड़ जिले में वर्ष 2015 में मैट्रिक पासॅा विद्यार्थियों से इंटर में कम सीट है. पलामू प्रमंडल के सभी जिलों में मैट्रिक पास विद्यार्थियों की संख्या इंटर में उपलब्ध सीट की तुलना में कम है. संताल परगना प्रमंडल के जिलों में भी मैट्रिक में पास विद्यार्थी की तुलना में सीट कम है.
राजधानी में पढ़ने आते हैं बाहर के विद्यार्थी
रांची जिला में अंगीभूत, इंटर व प्लस टू स्कूल मिलाकर इंटर में कुल 56 हजार सीट है. इसमें 20 हजार सीट अंगीभूत व अल्पसंख्यक कॉलेजों में हैं. विद्यार्थी इन्हीं कॉलेजों में नामांकन लेना चाहते हैं.
इस वर्ष रांची से लगभग 31853 हजार परीक्षार्थी मैट्रिक में सफल हुए. इसके अलावा दूसरे जिलों से भी लगभग 20 से 25 हजार विद्यार्थी इंटर में नामांकन के लिए रांची आते हैं. सीबीएसइ व आइसीएसइ बोर्ड के लगभग दस हजार विद्यार्थी भी कॉलेजों में नामांकन लेते हैं. इस कारण राजधानी के कॉलेजों में नामांकन के लिए सबसे अधिक भीड़ होती है.

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