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पत्थरों के अवैध खनन पर करें कार्रवाई

खान विभाग के प्रधान सचिव ने उपायुक्तों को लिखा पत्र रांची : पत्थरों के अवैध खनन पर प्रभात खबर में 23 व 24 अप्रैल को छपी रिपोर्ट के आधार पर खान विभाग के प्रधान सचिव डीके तिवारी ने सभी उपायुक्तों को पत्र लिख कर कार्रवाई का निर्देश दिया है. यह भी कहा है कि समाचार […]

खान विभाग के प्रधान सचिव ने उपायुक्तों को लिखा पत्र
रांची : पत्थरों के अवैध खनन पर प्रभात खबर में 23 व 24 अप्रैल को छपी रिपोर्ट के आधार पर खान विभाग के प्रधान सचिव डीके तिवारी ने सभी उपायुक्तों को पत्र लिख कर कार्रवाई का निर्देश दिया है. यह भी कहा है कि समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार के आलोक में अपने स्तर से जिला खनन पदाधिकारी, वन प्रमंडल पदाधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण पर्षद, भू-राजस्व से संबंधित पदाधिकारियों के साथ बैठक कर इसकी समीक्षा की जाये. साथ ही समुचित कार्रवाई करते हुए खान निदेशक को प्रतिवेदन भेजा जाये.
सचिव ने लिखा है कि 24 अप्रैल को भी विभाग के संयुक्त सचिव ने पत्र लिख कर कार्रवाई का आग्रह किया था. इसके पहले भी समय-समय पर कई बार विभाग द्वारा पत्र लिख कर अवैध खनन पर कार्रवाई का आग्रह किया गया है. 17 मार्च 2015 को भी खनिजों के अवैध उत्खनन, अवैध परिवहन पर रोकथाम के लिए पत्र भेजे गये थे. 17 जून 2014 को भी खान विभाग द्वारा प्रत्येक प्रमंडल में टास्क फोर्स का गठन भी किया गया है, ताकि अवैध उत्खनन पर रोक लगायी जा सके.
क्रशर का लाइसेंस उद्योग विभाग देता है : खान विभाग के प्रधान सचिव ने बताया कि खान विभाग केवल स्टोन माइंस का लीज देता है. वह भी वन विभाग, प्रदूषण नियंत्रण पर्षद,भू-राजस्व विभाग से एनओसी मिलने के बाद.
क्रशर का लाइसेंस उद्योग विभाग देता है. इसमें भी वन विभाग, प्रदूषण नियंत्रण पर्षद, वन विभाग से एनओसी लेने का प्रावधान है. गलत तरीके से क्रशर चल रहे हैं, इसके लिए समय-समय पर जिला प्रशासन द्वारा छापेमारी भी की जाती है.
श्री तिवारी ने बताया कि पत्थर खदान की लीज के पूर्व डीएमओ को आवेदन देना पड़ता है. तीन सेट में आवेदन होता है. इसमें एक सेट डीएफओ व दूसरा सेट सीओ को भेजा जाता है. इनसे स्वीकृति मिलने के बाद ही खान विभाग एलओआइ देता है.
फिर 90 दिनों का समय देकर प्रदूषण क्लीयरेंस(इसी) व माइनिंग प्लान मांगा जाता है. इसके बाद ही लीज दी जाती है. क्रशर के लिए लाइसेंस उद्योग विभाग देता है. इसमें कंसेट टू ऑपरेट प्रदूषण नियंत्रण पर्षद देता है.
प्रदूषण नियंत्रण पर्षद मानक को देखे : श्री तिवारी ने कहा कि विकास कार्यो में भी पत्थर की जरूरत है. इसे देखते हुए ही पत्थर के लाइसेंस दिये जाते हैं. पर पर्यावरण का मानक देखना प्रदूषण नियंत्रण पर्षद का काम है. विभाग अवैध खनन रोकने के प्रति गंभीर है.

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