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गणित में फिसड्डी थे मुंशी प्रेमचंद

मैट्रिक और इंटर (जैक) के रिजल्ट की आज घोषणा होगी. कई बच्चे सफल होंगे, तो कुछ असफल भी. हालांकि किसी एक परीक्षा में कम मार्क्स आने या असफल होने से भविष्य नहीं तय होता. जीवन में विकास की गति नहीं थम जाती. कई बार ऐसा देखा गया है कि मैट्रिक या इंटर में अच्छा परिणाम […]

मैट्रिक और इंटर (जैक) के रिजल्ट की आज घोषणा होगी. कई बच्चे सफल होंगे, तो कुछ असफल भी. हालांकि किसी एक परीक्षा में कम मार्क्स आने या असफल होने से भविष्य नहीं तय होता. जीवन में विकास की गति नहीं थम जाती. कई बार ऐसा देखा गया है कि मैट्रिक या इंटर में अच्छा परिणाम नहीं हासिल करनेवालों ने आगे प्रयत्न कर सफलता की मिसाल कायम की है. ………………………………………महान भारतीय लेखक मुंशी प्रेमचंद की शिक्षा भी गणित में कमजोर होने के कारण बाधित हुई, लेकिन उन्होंने सतत प्रयत्न से शिक्षा के क्षेत्र में ही उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की. 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के निकट लमही गांव में जन्मे धनपत राय श्रीवास्तव ( मुंशी प्रेमचंद) का बचपन आर्थिक अभाव में गुजरा. 1898 में मैट्रिक की परीक्षा द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण की. उनका गणित कमजोर था. वर्ष 1904 में ‘परमानेंट जूनियर इंगलिश टीचर्स’ परीक्षा उत्तीर्ण की. इसके प्रमाणपत्र में भी उनके गणित की कमजोरी का इस तरह उल्लेख है, ‘नॉट क्वालिफाइड टू टीच मैथमेटिक्स’. इसी कमजोरी के कारण वे इंटरमीडिएट में असफल भी हुए. 1916 में इलाहाबाद विवि से द्वितीय श्रेणी में इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की. बीए की परीक्षा भी 1919 में द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण की. मैट्रिक में कम अंक हासिल करने वाले व गणित में फिसड्डी प्रेमचंद ने हार नहीं मानी. आज उनके उपन्यास व कहानियां संपूर्ण भारतीय साहित्य में मील के पत्थर हैं.

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