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प्रत्यक्ष कर संहिता के विचार को न छोड़ा जाये : समिति

नयी दिल्ली. संसद की एक समिति ने सरकार को सलाह दी है कि प्रत्यक्ष कर संहिता के विचार को (डीटीसी) को छोड़ा न जाये, क्यांेकि मौजूदा आयकर कानून की जगह नये कानून की सचमुच जरूरत है. समिति का कहना है कि मौजूदा आयकर कानून जटिल हो चुका है. इसके चलते ऐसी मुकदमेबाजी होती है, जिससे […]

नयी दिल्ली. संसद की एक समिति ने सरकार को सलाह दी है कि प्रत्यक्ष कर संहिता के विचार को (डीटीसी) को छोड़ा न जाये, क्यांेकि मौजूदा आयकर कानून की जगह नये कानून की सचमुच जरूरत है. समिति का कहना है कि मौजूदा आयकर कानून जटिल हो चुका है. इसके चलते ऐसी मुकदमेबाजी होती है, जिससे बचा जा सकता है. वित्त पर संसद की स्थायी समिति ने संसद मंे शुक्रवार को पेश अपनी रिपोर्ट मंे कहा है कि सरकार को डीटीसी पर उसके अच्छे प्रावधानांे के साथ आगे बढ़ना चाहिए. इसे भी जीएसटी व्यवस्था की तरह तय समय मंे लागू किया जाना चाहिए. एम वीरप्पा मोइली की अगुवाईवाली समिति ने कहा है कि उसे सरकार की इस दलील मंे तर्क नहीं दिखता कि डीटीसी को आगे बढ़ाने का कोई आधार नहीं है, क्यांेकि इसके ज्यादातर प्रावधानांे को मौजूदा आयकर कानून मंे शामिल कर लिया गया है. डीटीसी का प्रस्ताव आयकर कानून, 1961 की जगह एक नयी संहिता लागू करने के उद्देश्य से पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने किया था. उसने इसका मसौदा तैयार किया था.

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