बीजिंग. चीन के ग्लेशियर खासकर तिब्बत क्षेत्रवाले ग्लेशियर में पिछले 65 वर्षों में करीब 7,600 वर्ग किलोमीटर (करीब 18 प्रतिशत) के ग्लेशियर गायब हो गये हैं. माउंट एवरेस्ट के आधार शिविर के पास भी बर्फ की मोटी परत प्रदूषण के बढ़ते स्तर की वजह से गायब हो गयी हैं. वहां केवल पथरीली जमीन बची है. एक चीनी अधिकारी ने बताया कि 1950 के बाद से हर साल 247 वर्ग किमी बर्फीले ग्लेशियर गायब हो रहे हैं. यहां तक कि माउंट कोमोलांगमा (एवरेस्ट का तिब्बती नाम) के पर्वतारोही भी हैरान हैं. तिब्बत के पर्वतारोहण प्रशासन केंद्र के निदेशक झांग मिंगशिंग ने सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ से कहा, ‘समुद्र स्तर से 5,200 मीटर ऊपर स्थित कोमोलांगमा आधार शिविर पर बर्फ की मोटी चादर थी, लेकिन अब वहां कुछ नहीं है केवल पत्थर हैं.’ चीन में 46,000 से अधिक ग्लेशियर हैं, जो दुनिया के कुल ग्लेशियर का करीब 14.5 प्रतिशत है. इनमें से ज्यादातर किंगहाई-तिब्बत पठार में हैं.
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तिब्बत में खतरनाक रफ्तार से पिघल रहे हैं ग्लेशियर
बीजिंग. चीन के ग्लेशियर खासकर तिब्बत क्षेत्रवाले ग्लेशियर में पिछले 65 वर्षों में करीब 7,600 वर्ग किलोमीटर (करीब 18 प्रतिशत) के ग्लेशियर गायब हो गये हैं. माउंट एवरेस्ट के आधार शिविर के पास भी बर्फ की मोटी परत प्रदूषण के बढ़ते स्तर की वजह से गायब हो गयी हैं. वहां केवल पथरीली जमीन बची है. […]
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