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परेशानी है तो बच्चे का नाम कटवा लें अभिभावक

निजी विद्यालयों की मनमानी के खिलाफ अभिभावकों का विरोध जारी, स्कूल के प्राचार्यो ने प्रभात खबर के समक्ष रखी अपनी बात रांची : निजी स्कूलों द्वारा लिये जा रहे मनमाने शुल्क के मामले में प्रशासन की ओर से की जा रही कार्रवाई व अभिभावक मंच की ओर से चलाये जा रहे आंदोलन के बीच राजधानी […]

निजी विद्यालयों की मनमानी के खिलाफ अभिभावकों का विरोध जारी, स्कूल के प्राचार्यो ने प्रभात खबर के समक्ष रखी अपनी बात
रांची : निजी स्कूलों द्वारा लिये जा रहे मनमाने शुल्क के मामले में प्रशासन की ओर से की जा रही कार्रवाई व अभिभावक मंच की ओर से चलाये जा रहे आंदोलन के बीच राजधानी के विभिन्न स्कूलों के प्राचार्यो ने अपना पक्ष रखा.
प्राचार्यो ने बताया कि उनके द्वारा जो शुल्क लिया जाता है, उसे विद्यार्थियों के हित में खर्च किया जाता है. स्कूल के प्राचार्यो का कहना है कि उपायुक्त की ओर से जो जानकारी मांगी गयी है वह प्रशासन को उपलब्ध कराया जा रहा है. जिन स्कूलों ने जानकारी नहीं दी है, उनका कहना है कि फीस को लेकर रिपोर्ट तैयार की जा रही है. रिपोर्ट जल्द जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय को भेज दी जायेगी. इस पर भी यदि अभिभावकों को परेशानी है तो वे अपने बच्चे का नाम कटावा लें.
सुविधा देते हैं तो शुल्क लें
स्कूल को अपने शुल्क को पारदर्शी बनाना चाहिए. स्कूल द्वारा जो भी शुल्क लिया जाता है, उसके बारे में स्कूल प्रबंधन को अभिभावक को बताना चाहिए. उनके विद्यालय में कम शुल्क में बच्चों को बेहतर शिक्षा दी जाती है. विद्यालय में स्मार्ट क्लास की सुविधा उपलब्ध है. विद्यालय की छात्राओं को नि:शुल्क कराटे का प्रशिक्षण दिया जाता है. इसके अलावा समय-समय पर नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर भी लगाया जाता है.
इसके लिए बच्चों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता. सभी स्कूलों में एक समान शुल्क नहीं है. स्कूल अगर सुविधा देते हैं, और शुल्क लेते है तो ठीक है, पर बिना सुविधा दिये शुल्क लेना सही नहीं है.
निजी स्कूलों को सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिलती ऐसे में बेहतर सुविधा के लिए शुल्क लेना आवश्यक हो जाता है, पर शुल्क उचित होना चाहिए.
मनोज कुमार, प्राचार्य, आदर्श विद्या मंदिर
री एडमिशन शुल्क नहीं लेते
राजधानी के सभी स्कूलों में री-एडमिशन शुल्क नहीं लिया जाता है. निजी स्कूल अपने संसाधन से चलते हैं. स्कूल जो भी शुल्क लेते है, उन्हें उसका औचित्य बताना चाहिए. डीजल की कीमत कम होने से बस किराया कम करने की बात कही जाती है, बस परिचालन के लिए डीजल के अलावा और भी चीजों की आवश्यकता होती है. महंगाई काफी बढ़ गयी है. इसके बाद भी स्कूलों को तय मापदंड के अनुरूप ही शुल्क लेना चाहिए.
विद्यालय में री-एडमिशन के नाम पर कोई शुल्क नहीं लिया जाता है. शिक्षण शुल्क भी मापदंड के अनुरूप दिया जाता है. विद्यालय में जो भी शुल्क लिया जाता है, उसकी पूरी जानकारी अभिभावकों को दी जाती है. प्रशासन द्वारा शुल्क जांच मामले में जो भी जानकारी मांगी गयी है वह उपलब्ध कराया जायेगा.
संजय कुमार, प्राचार्य, विकास विद्यालय पुंदाग
तो दाखिला ही न करायें
राजधानी के कई स्कूल सेल्फ रिसोर्स पर चलते हैं. सभी को एक छड़ी से हांका जा रहा है. सभी स्कूलों में बच्चों को अलग-अलग सुविधाएं दी जाती हैं. अभिभावकों को पहले फीस सहित अन्य मदों में ली जाने वाली राशि की जानकारी दी जाती है.
अगर अभिभावक को राशि देने में परेशानी है तो वह अपने बच्चों को उस स्कूल में दाखिला नहीं करायें. सरकार को स्कूल का क्राइटेरिया तय करना चाहिए. स्कूलों द्वारा एनुअल चार्ज लेना सही है.
इस राशि से बच्चों को अलग-अलग सुविधाएं दी जाती हैं. जहां तक सरकार की बात है तो सरकार पहले सरकारी स्कूलों को सुधारे उसके बाद निजी स्कूलों को देखे. सरकारी स्कूलों में कई तरह के अनुदान दिये जाते हैं, इसके बावजूद स्थिति खराब है.
संचयिता सिंह, प्राचार्य स्टार इंटरनेशनल स्कूल
वार्षिक शुल्क लेना गलत नहीं
स्कूलों में री-एडमिशन चार्ज लेना गलत है, लेकिन एनुअल चार्ज लेना गलत नहीं है. उनके विद्यालय में री-एडमिशन के नाम पर कोई शुल्क नहीं लिया जाता है. वार्षिक शुल्क भी काफी कम लिया जाता है. जो शुल्क लिया जाता है, उसकी शत-प्रतिशत राशि बच्चों पर खर्च की जाती है.
स्कूल एनुअल चार्ज को किस मद में खर्च करता है उसकी जानकारी अभिभावकों को होनी चाहिए. हमारे यहां एनुअल चार्ज एक हजार रुपया लिया जाता है. उसे परीक्षा फीस, स्कूल मैगजीन, आइ कार्ड, ग्रुप फोटो, सुरक्षा, मेडिकल सहित अन्य मद में खर्च किया जाता है. वर्ष भर बच्चों से इन मदों में कोई राशि नहीं ली जाती है. उपायुक्त ने आय-व्यय का जो ब्योरा मांगा है उसे देंगे. उपायुक्त की ओर से जो जानकारी मांगी गयी है वह दी जायेगी.
पीके ठाकुर, प्राचार्य, लाला लाजपत राय स्कूल

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