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पहेली बनी रांची विवि की जमीन

कांके, पिठोरिया के बाद अब सिमलिया में खोजी जा रही है जमीन रांची : रांची विवि मुख्यालय को शहीद चौक से हटाने की प्रक्रिया झारखंड बनने के बाद से ही शुरू हुई, लेकिन अभी तक स्थिति जस की तस है. दो जगहों पर जमीन की तलाश कर उसके हस्तांतरण की प्रक्रिया भी आरंभ हुई, लेकिन […]

कांके, पिठोरिया के बाद अब सिमलिया में खोजी जा रही है जमीन
रांची : रांची विवि मुख्यालय को शहीद चौक से हटाने की प्रक्रिया झारखंड बनने के बाद से ही शुरू हुई, लेकिन अभी तक स्थिति जस की तस है. दो जगहों पर जमीन की तलाश कर उसके हस्तांतरण की प्रक्रिया भी आरंभ हुई, लेकिन विवि मुख्यालय शिफ्ट नहीं हो सका.
एक बार फिर विवि के लिए जमीन की तलाश शुरू हो गयी है. इस बार सिमलिया में जमीन देखी जा रही है. जानकारों के अनुसार विवि के लिए जमीन तलाश पहेली बन कर रह गयी है. दरअसल विवि से जुड़े कई लोग ही नहीं चाहते हैं कि विवि मुख्यालय शहीद चौक से शिफ्ट हो.
झारखंड गठन के दौरान जमीन का व्यवसाय करनेवालों ने विवि के लिए कटहल मोड़ के पास जमीन दिलाने का काफी प्रयास किया, लेकिन तत्कालीन मानव संसाधन विकास विभाग के सचिव सह प्रभारी कुलपति आइएएस अमित खरे ने इसे नजरअंदाज करते हुए विवि के लिए कांके स्थित आइआइसीएम के बगल में लगभग साढ़े तीन सौ एकड़ जमीन की तलाश की.
जमीन हस्तांतरण की प्रक्रिया भी आरंभ हुई. इस बीच श्री खरे प्रभारी कुलपति के पद से हट गये और डॉ एलसीएन शाहदेव कुलपति बनाये गये. डॉ शाहदेव के योगदान करने पर बिरसा कृषि विवि ने उक्त जमीन पर अपना दावा ठोंक दिया. हालांकि बिरसा कृषि विवि दावा से संबंधित कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सका.
इसके बावजूद डॉ शाहदेव ने उक्त जमीन पर विवि मुख्यालय बनाने से यह कह कर इनकार कर दिया कि विवि मुख्यालय के लिए कम से कम एक हजार एकड़ जमीन चाहिए. फलत: जमीन हस्तांतरण की प्रक्रिया रूक गयी. इसके बाद प्रो एसएस कुशवाहा के कार्यकाल में सरकार ने फिर जमीन की तलाश शुरू की. साथ ही जमीन व भवन निर्माण के लिए लगभग आठ करोड़ रुपये की स्वीकृति भी प्रदान की, लेकिन मामला फंसा ही रह गया.

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