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विकास कार्यो पर कंपनियां खर्च करेंगी 800 करोड़
झारखंड कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व परिषद गठित दीपक रांची : झारखंड में कार्य कर रही कंपनियों को कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व के तहत अब आठ सौ करोड़ रुपये खर्च करने होंगे. वर्ष 2013 में कंपनियों के कारोबार का आकलन कर यह आंकड़ा निकाला गया है. 2013 में झारखंड में कार्यरत कंपनियों का सलाना टर्न ओवर 60 हजार […]
झारखंड कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व परिषद गठित
दीपक
रांची : झारखंड में कार्य कर रही कंपनियों को कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व के तहत अब आठ सौ करोड़ रुपये खर्च करने होंगे. वर्ष 2013 में कंपनियों के कारोबार का आकलन कर यह आंकड़ा निकाला गया है.
2013 में झारखंड में कार्यरत कंपनियों का सलाना टर्न ओवर 60 हजार करोड़ से अधिक था. यह राशि राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की एक तिहाई राशि के बराबर है. सीएसआर एक्ट के तहत कंपनियों को एक प्रतिशत से पांच प्रतिशत की राशि खर्च करना जरूरी किया गया है. इसी आधार पर मुख्यमंत्री रघुवर दास के निर्देश पर झारखंड कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी काउंसिल (जेसीएसआरसी) का गठन किया गया है. जिला स्तर और राज्य स्तर पर कमेटी का विस्तार भी किया गया है.
कंपनियों से कहा गया है कि वे अपने सीएसआर कार्यक्रम के तहत गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम, शुद्ध पेयजल की उपलब्धता, स्वास्थ्य और स्वच्छता कार्यक्रमों का विस्तार, महिला सशक्तीकरण, राष्ट्रीय हेरिटेज भवनों का संरक्षण, छात्रवास का निर्माण आदि करायें.
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित हुई शासी निकाय
राज्य के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में जेसीएसआरसी की शासी निकाय का गठन किया गया है. इसमें मुख्य सचिव, उद्योग, समाज कल्याण, स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा और परिवार कल्याण, मानव संसाधन, पीएचइडी, योजना विकास, ग्रामीण विकास, कल्याण विभाग, खेल कूद युवा कार्य मंत्रलय, वन और पर्यावरण विभाग, दक्षता विकास कार्यक्रम के परियोजना निदेशक, राज्य के अग्रणी बैंक के क्षेत्रीय प्रमुख, व्यापारिक महासंघों के अध्यक्ष, यूनिसेफ के झारखंड प्रभारी को सदस्य बनाया गया है. इसके अलावा उद्योग सचिव की अध्यक्षता में कार्यकारी समिति और जिला स्तर पर उपायक्तों की अध्यक्षता में समिति गठित की गयी है. यह समितियां समय-समय पर सीएसआर की गतिविधियों का अनुश्रवण करेंगी.
कंपनियों को कितना करना है खर्च
सीएसआर गतिविधियों के लिए कंपनियों को मुनाफे के हिसाब से राशि खर्च करनी होगी. इसके लिए 100 करोड़ से कम का लाभ अजिर्त करनेवाली कंपनियों से लेकर पांच सौ करोड़ से अधिक टैक्स कमानेवाली कंपनियों के लिए अलग-अलग स्लैब तय किये गये हैं.
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