इ-ऑक्शन की फायनेंशियल बिड नहीं खुलने के लिए तत्कालीन अध्यक्ष सहित अन्य अफसर जिम्मेवार
इ-ऑक्शन की फाइल महीनों तक घूमती रही
सुनील चौधरी
रांची : झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी) के तत्कालीन अध्यक्ष विदेश सिंह सहित अन्य अधिकारियों ने मिल कर सरकार को 3.57 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया. यह नुकसान संबंधित अधिकारियों द्वारा सिकनी कोलियरी के कोयले का विक्रय मूल्य कम करने की वजह से हुआ.
अध्यक्ष व अन्य अधिकारियों ने मिल कर कोयले की बिक्री के लिए इ-ऑक्शन प्रणाली अपनाये जाने से संबंधित निविदा की फाइल को लटकाये रखा. मुख्यमंत्री रघुवर दास के आदेश पर गठित त्रिसदस्यी विभागीय जांच समिति ने सरकार को सौंपी जांच रिपोर्ट में इन तथ्यों का उल्लेख किया है.
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि सिकनी कोलियरी में कोयले की बिक्री कोल इंडिया द्वारा निर्धारित मूल्य के आधार पर की जाती रही है. वर्ष 2002 से फरवरी 2015 के बीच कुल नौ बार कोयले की बिक्री दर को संशोधित किया गया. 24 मार्च 2014 को कोयले की दर में की गयी वृद्धि 15 जनवरी 2014 से प्रभावी था.
इस दर को बोर्ड से अनुमोदित कराने के लिए फाइल बढ़ी तो उस पर कंपनी सचिव ने यह टिप्पणी अंकित कर दी कि निगम के अध्यक्ष पंजीकृत कोयला विक्रेताओं के संघ के आवेदन पर 25.4.2014 को बैठक बुला कर संघ की समस्याओं पर विचार-विमर्श करेंगे. इस बीच निगम के चार अधिकारियों ने बैठक कर जनवरी 2014 से लागू होने वाली कोयले की बिक्री दर को संशोधित करते हुए कम कर दिया.
आरओएम की दर 1360.12 रुपये से घटा कर 1240.12 रुपये प्रति टन और स्टीम कोयले की विक्रय दर 1726.03 से घटा कर 1606.03 रुपये प्रति टन निर्धारित कर दिया. इस तरह आरओएम और स्टीम कोयले की दर में 120 रुपये प्रति टन की कमी कर दी गयी. साथ ही हैंडलिंग चार्ज में भी 50 रुपये प्रति टन की दर से कटौती कर दी गयी. इस प्रस्ताव को बोर्ड के अध्यक्ष ने अनुमोदित कर दिया. अध्यक्ष के इस फैसले से निगम को कोयले की बिक्री में 1.41 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
वहीं हैंडलिंग चार्ज में कमी की वजह से 1.18 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. इस तरह निगम को कुल 2.60 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. जबकि सरकार को रॉयल्टी के रूप में 97.18 लाख रुपये का नुकसान हुआ. अर्थात अध्यक्ष के इस फैसले से कुल 3.57 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
रिपोर्ट में इ-ऑक्शन की चर्चा करते हुए कहा गया है कि अध्यक्ष व अन्य अधिकारियों ने इससे संबंधित फाइल को जान-बूझ कर लटकाये रखा. इस बीच फाइल प्रभारी कोयला विपणन पदाधिकारी देवेंद्र कुमार व महाप्रबंधक चंद्रमा मिश्र के बीच घूमती रही. इस मामले में देर करने के लिए जांच समिति ने विदेश सिंह, निगम के प्रभारी एमडी रामनरेश, चंद्रमा मिश्र और देवेंद्र कुमार प्रत्यक्ष रूप से दोषी माना है.