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खूब चला सदन, स्पीकर ने अनुशासन में बांधा

19 दिन के सत्र में 73 घंटे का पक्ष-विपक्ष ने किया सदुपयोग, महज दो बार स्थगित हुई कार्रवाई स्पीकर ने विषय से विधायकों को नहीं भटकने दिया रांची : विधानसभा के बजट सत्र का पक्ष-विपक्ष ने सदुपयोग किया. पक्ष-विपक्ष में कभी कभार नोक झोंक हुई, लेकिन मर्यादा के अंदर. सदन में वरीय सदस्यों ने मामला […]

19 दिन के सत्र में 73 घंटे का पक्ष-विपक्ष ने किया सदुपयोग, महज दो बार स्थगित हुई कार्रवाई
स्पीकर ने विषय से विधायकों को नहीं भटकने दिया
रांची : विधानसभा के बजट सत्र का पक्ष-विपक्ष ने सदुपयोग किया. पक्ष-विपक्ष में कभी कभार नोक झोंक हुई, लेकिन मर्यादा के अंदर. सदन में वरीय सदस्यों ने मामला को पैच-अप कराने में भूमिका निभायी. पक्ष-विपक्ष ने सीमा के अंदर एक दूसरे पर कटाक्ष किये. स्पीकर दिनेश उरांव ने विधायकों को अनुशासन में बांधे रखा.
सदन में प्रश्नकाल को हर संभव तरीके से चलाया गया. पहली पाली में प्रश्नकाल को लेकर स्पीकर ने समझौता नहीं किया. 20 मार्च को भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के कारण दो बार कार्यवाही जरूर स्थगित हुई. उस दिन विधानसभा के बाहर झामुमो का प्रदर्शन भी था. लेकिन उस दिन सत्र की दूसरी पाली तरीके से चली. सदन में पहली बार विधायकों की सारी सूचनाएं एक साथ लेने का प्रावधान किया गया.
स्पीकर विधायकों के विषयांतर होने पर तुरंत टोकते रहे. सरकार का जवाब आने पर पूरक प्रश्न पूछने पर जोर रहा. विधायकों को प्रश्न के दौरान बेवजह के भाषण पर तुरंत टोकते रहे. कार्यवाही के दौरान अखबार पढ़ रहे कुशवाहा शिवपूजन मेहता से खेद व्यक्त कराया, तो मंत्री रणधीर सिंह को भी बाहर बयानबाजी करने पर खेद व्यक्त करना पड़ा.
सदन में कार्यवाही के दौरान मोबाइल से फोटो ले रहे जयप्रकाश वर्मा का फोन जब्त कर माफी मंगावायी. प्रश्नकाल के दौरान हो-हंगामा पर स्पीकर का रुख कड़ा रहा. विधायकों को भरसक समझाया, तो फूलचंद मंडल के वेल में घुसने की कोशिश पर फटकार भी लगायी. सदन की कार्यवाही के दौरान स्पीकर विधायकों को विषयों के अंदर चर्चा करने के लिए बाध्य करते रहे. पक्ष-विपक्ष के सीधे सवाल पर सत्ता पक्ष से भी सटीक उत्तर दिलाने कीकोशिश की.
विपक्ष से प्रदीप, तो सत्ता पक्ष से सरयू ने संभाला मोरचा
सदन के अंदर कार्यवाही में विपक्ष की ओर से झाविमो विधायक प्रदीप यादव ने मोरचा संभाला. प्रदीप के तीखे सवाल सरकार को ङोलने पड़े. प्रदीप यादव ने लगातार 12 दिनों तक अनुदान मांग पर चर्चा के लिए कटौती प्रस्ताव पेश किये. अनुदान मांग पर चर्चा के दौरान प्रदीप यादव ने अपने भाषण से सबको प्रभावित किया. वहीं प्रश्नकाल के दौरान भी ज्वलंत सवाल सरकार पर दागे. भ्रष्टाचार के मुद्दे सदन के अंदर गूंजे.
सत्ता पक्ष से सरयू राय ने बखूबी मोरचा संभाला. सरयू राय ने विपक्ष के सवालों का तार्किक तरीके से जवाब दिया. सरयू के जवाब के बाद कई बार विपक्ष को घेरने का अवसर नहीं मिल पाया. वित्तीय मामले से लेकर दूसरे विभागों के जवाब मंत्री सरयू राय ने पूरे आंकड़े और स्पष्टता के साथ दिये. सदन के अंदर सरयू राय ने सरकार का बेहतर तरीके से बचाव किया.

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