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समय पर नहीं मिलता है न्याय, राज्य भर में बाल सुधार गृह की स्थिति ठीक नहीं

रांची: राज्य गठन के 15 वर्ष बाद भी अब तक सभी 24 जिलों में बाल सुधार गृह (रिमांड होम) का गठन नहीं किया गया है. समाज कल्याण, महिला और बाल विकास विभाग के अनुसार राज्य के 10 जिलों में ही बाल सुधार गृह कार्यरत हैं. यहां पर 50-50 बाल कैदियों को रखने की सरकार की […]

रांची: राज्य गठन के 15 वर्ष बाद भी अब तक सभी 24 जिलों में बाल सुधार गृह (रिमांड होम) का गठन नहीं किया गया है. समाज कल्याण, महिला और बाल विकास विभाग के अनुसार राज्य के 10 जिलों में ही बाल सुधार गृह कार्यरत हैं. यहां पर 50-50 बाल कैदियों को रखने की सरकार की ओर से व्यवस्था की गयी है, पर क्षमता से अधिक बच्चे यहां रखे जा रहे हैं. जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत मामूली गुनाह पर किसी भी बाल बंदियों को 90 दिनों में रिहाई करना जरूरी है.

कानूनी परिभाषा के तहत इनका प्रोडक्शन ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के समक्ष 40 दिनों के अंदर भी कराना जरूरी है. सरकार ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के मार्फत समय पर न्याय दिलाने की व्यवस्था की है, बावजूद इसके मामूली गुनाह के आरोपी बाल बंदियों को समय पर रिमांड होम से रिलीज नहीं किया जाता है. इनके प्रोडक्शन में ही विलंब होता है. प्रोडक्शन में विलंब होने से समय पर सुनवाई नहीं हो पाती है.

रांची और दुमका में क्षमता से अधिक बाल बंदी : राजधानी रांची और दुमका में बाल बंदियों की संख्या क्षमता से अधिक है. रांची में अब भी खूंटी और लातेहार के बाल बंदियों को रखा जा रहा है. कमोबेश यही स्थिति दुमका की भी है.

यहां पर पाकुड़, गोड्डा, जामताड़ा और साहेबगंज तक के बाल बंदियों को रखा जा रहा है. जिला समाज कल्याण पदाधिकारी के अंतर्गत हजारीबाग, बोकारो, गुमला, रांची, पश्चिमी सिंहभूम और दुमका में रिमांड होम चल रहे हैं. जिला पंचायती राज अधिकारी के तहत देवघर में लड़कियों और जिला भू अजर्न पदाधिकारी के तहत पूर्वी सिंहभूम में रिमांड होम संचालित हो रहे हैं. सरकार की ओर से हजारीबाग, बोकारो, धनबाद, गुमला, सिमडेगा, रांची, देवघर, पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम और दुमका में रिमांड होम संचालित किये जा रहे हैं.

प्रत्येक बाल बंदियों के लिए दिये जाते हैं 1080 रुपये
राज्य सरकार प्रत्येक बाल बंदियों के रख-रखाव, उनके रहने, रिक्रिएशन और शिक्षा तथा अन्य खर्च के रूप में 1080 रुपये तक का प्रावधान करती है. बच्चों को सर्व शिक्षा अभियान के तहत शिक्षित करने की भी व्यवस्था की गयी है. समय-समय पर बच्चों को योग प्रशिक्षण, कंप्यूटर प्रशिक्षण और अन्य खेल-कूद गतिविधियों से जोड़ने का आदेश इंटीग्रेटेड चाइल्ड प्रोटेक्शन स्कीम (आइसीपीएस) में दिया गया है.

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