रांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को रिनपास, कांके के निदेशक पद पर डा अमूल रंजन सिंह की नियुक्ति को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस प्रमाथ पटनायक की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद जनहित याचिका खारिज कर दिया. खंडपीठ ने कहा कि यह जनहित का मामला नहीं लगता है. सर्विस मामले को जनहित याचिका के तौर पर नहीं उठाया जा सकता है. ऐसा प्रतीत होता है कि यह मामला निजी स्वार्थ को लेकर दायर किया गया है. इससे पूर्व रिनपास की ओर से अधिवक्ता डॉ अशोक कुमार सिंह ने याचिका का विरोध किया. कहा कि यह निजी स्वार्थ में दायर की गयी जनहित याचिका है. राज्य सरकार की ओर से भी यह कहते हुए विरोध किया गया कि यह मामला जनहित याचिका के रूप में मेनटनेबल नहीं है. एडहॉक के रूप में डा अमूल रंजन सिंह की नियुक्ति की गयी थी. जनहित मामले में सर्विस मैटर नहीं उठाया जा सकता है. याचिका मेनटेबल नहीं है. निजी स्वार्थ में दायर की गयी है. गौरतलब है कि प्रार्थी उतम कुमार ने जनहित याचिका दायर की थी. उन्होंने कहा था कि प्रतिवादी डा अमूल रंजन सिंह के पास निदेशक पद की योग्यता नहीं है. स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह ने उनकी नियुक्ति गलत तरीके से की थी. प्रार्थी ने नियुक्ति को निरस्त करने का आग्रह किया था.
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रिनपास निदेशक डा अमूल रंजन के खिलाफ दायर जनहित याचिका खारिज
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को रिनपास, कांके के निदेशक पद पर डा अमूल रंजन सिंह की नियुक्ति को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस प्रमाथ पटनायक की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद जनहित याचिका खारिज कर दिया. खंडपीठ ने कहा कि यह जनहित का मामला […]
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