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सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर ने कहा, असंगठित मजदूरों को न्याय दिलाना प्राथमिकता
रांची: राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार (नालसा) की ओर से आयोजित 13 वां अखिल भारतीय राज्य विधिक सेवा प्राधिकार का राष्ट्रीय सम्मेलन रविवार को संपन्न हुआ. होटल बीएनआर में सम्मेलन को संबोधित करते हुए नालसा के चेयरमैन सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर ने कहा कि देश में लगभग 48 करोड़ असंगठित मजदूर हैं. इनको […]
रांची: राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार (नालसा) की ओर से आयोजित 13 वां अखिल भारतीय राज्य विधिक सेवा प्राधिकार का राष्ट्रीय सम्मेलन रविवार को संपन्न हुआ. होटल बीएनआर में सम्मेलन को संबोधित करते हुए नालसा के चेयरमैन सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर ने कहा कि देश में लगभग 48 करोड़ असंगठित मजदूर हैं. इनको सस्ता, सुलभ और त्वरित न्याय दिलाना हमारी प्राथमिकता है. नालसा का उद्देश्य औद्योगिक घरानों और निवेशकों के हितों की रक्षा करना नहीं, बल्कि समाज के कमजोर और पिछड़े तबकों के कल्याण के लिए काम करना है.
जस्टिस ठाकुर ने कहा कि महिलाओं और बच्चों के कल्याण को लेकर भी ठोस कदम उठाये जायेंगे. आदिवासी बहुल इलाकों से महिला तस्करी की बात को स्वीकारते हुए इस पर रोक लगाने की बात कही. उन्होंने ने कहा कि होटल, ढाबा और सड़कों पर काम करने वाले बच्चों को मुख्य धारा में लाया जायेगा. दो दिवसीय सम्मेलन में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एआर दवे, इलाहाबाद हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाइ चंद्रचुड़, विभिन्न हाइकोर्ट के वरीय जज, झारखंड हाइकोर्ट के सभी न्यायाधीश, रजिस्ट्रार जनरल और जिला जज और नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया.
आगे आयें एनजीओ: जस्टिस ठाकुर ने कहा कि पहले से ही जनजातीय सुमदाय की अनदेखी होती रही है. उन्हें मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जायेगा. इसको लेकर राज्य में एक और सेमिनार का आयोजन किया जायेगा. गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) को इस दिशा में काम करने के लिए आगे आना चाहिए. श्री ठाकुर ने कहा कि इस प्रकार के सम्मेलनों से नयी रणनीति बनाने में सहूलियत होती है. चुनौतियों से निबटने में हम सक्षम हो सकते हैं. जस्टिस ठाकुर ने सम्मेलन के सफल आयोजन को लेकर मुख्य न्यायाधीश वीरेंदर सिंह को बधाई दी. कहा कि झारखंड आकर अच्छा लगा. इसके बाद देहरादून की एक एनजीओ ने भी बच्चों के कल्याण के लिए काम करने की अपील की. साथ ही बच्चों के प्रति आये दिन होने वाले दुराचारों को रोके जाने और सही तरीके से शिक्षित किये जाने की बात कही.
महाधिवक्ता व सरकारी वकीलों ने नहीं लिया हिस्सा
नालसा के दो दिवसीय सम्मेलन में महाधिवक्ता सहित एक भी सरकारी वकील ने हिस्सा नहीं लिया. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आयोजकों ने महाधिवक्ता को निमंत्रण नहीं दिया था. आम तौर पर महाधिवक्ता और सरकारी वकीलों को इस प्रकार के कार्यक्रम में बुलाया जाता है. कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आनन-फानन में कई लोगों को फोन और मैसेज कर बुलाया गया.
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