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घरेलू महिलाएं अधिक करती हैं आत्महत्या
झारखंड में हाल के दिनों में आत्महत्या करनेवालों की संख्या बढ़ी है. इनमें शादी-शुदा लोगों की संख्या अधिक हैं. परीक्षा का समय आते ही छात्र-छात्राओं में भी आत्महत्या करने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है. वहीं पारिवारिक कलह के कारण महिलाएं में भी आत्महत्या करने की प्रवृत्ति बढ़ी है. खबर छापने का मकसद निराश और हताश […]
झारखंड में हाल के दिनों में आत्महत्या करनेवालों की संख्या बढ़ी है. इनमें शादी-शुदा लोगों की संख्या अधिक हैं. परीक्षा का समय आते ही छात्र-छात्राओं में भी आत्महत्या करने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है. वहीं पारिवारिक कलह के कारण महिलाएं में भी आत्महत्या करने की प्रवृत्ति बढ़ी है. खबर छापने का मकसद निराश और हताश लोगों को ऐसी प्रवृत्ति और बेवजह परेशानी से बचाना है.
रांची: झारखंड में आत्महत्या करने वालों की समीक्षा से पता चला है कि इनमें सबसे अधिक संख्या घरेलू महिलाओं की है. वर्ष 2013 में 1460 लोगों ने आत्महत्या की थी. इनमें से घरेलू महिलाओं की संख्या 193 थी. कुल संख्या का 13.2 प्रतिशत है.
इससे स्पष्ट होता है कि आज भी घरों में महिलाओं की स्थिति में सुधार नहीं आया है. घरों में रहनेवाली महिलाएं कुंठा की शिकार हैं. आत्महत्या करनेवालों में दूसरे नंबर पर छात्र हैं. वर्ष 2013 में 150 छात्रों ने आत्महत्या की थी. राज्य में 142 किसानों ने आत्महत्या की थी. बेरोजगारी व गरीबी की वजह से 37 लोगों ने आत्महत्या की थी.
मेडिकल साइंस के अनुसार महिलाएं सबसे अधिक डिप्रेशन की शिकार होती हैं. झारखंड में पुरुषों का वर्चस्व रहा है.महिलाएं अपनी बातों को खुलकर शेयर नहीं कर पातीं या उन्हें करने नहीं दिया जाता. इसके अलावा शराब का सेवन करनेवाले पुरुषों की संख्या राज्य में अधिक है. इससे महिलाएं प्रताड़ित होती हैं. महिलाओं में शिक्षा का अभाव है, इससे वह अपने आप को दबी हुई महसूस करती है. यहां कई महिलाओं को घर से भगा दिया जाता है. अशिक्षा व दहेज के कारण भी महिलाओं पर अत्याचार होता है. इससे उनमें तनाव बढ़ता है और आत्महत्या कर लेती हैं.
डॉ पवन वर्णवाल, न्यूरो साइकियाट्रिक
पेशा संख्या
घरेलू महिला 193
नौकरी (सरकारी) 16
नौकरी (प्राइवेट) 115
नौकरी (पब्लिक सेक्टर) 20
छात्र 150
बोरोजगार 139
पेशा संख्या
किसान 142
स्वरोजगार (व्यवसायी) 36
स्वरोजगार (तकनीकि) 24
स्वरोजगार (अन्य) 121
सेवानिवृत 03
अन्य 501
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