कोडरमा: विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तिलैया पुलिस की ओर से पूर्णिमा टॉकिज के पास से बरामद किये गये शराब लदे ट्रक के मामले में एक बार फिर तिलैया थाना प्रभारी की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में है. इस बार थाना प्रभारी अदालत में घिरे हैं. मामले को लेकर पहले कुछ रिपोर्ट देने व बाद में कुछ अलग रिपोर्ट देने पर अदालत ने संज्ञान लेते हुए इसे हास्यास्पद बताते हुए पूरे मामले में थाना प्रभारी से स्पष्टीकरण मांगा है.
कांड के अनुसंधानकर्ता सह थाना प्रभारी केपी यादव ने शराब बरामदगी के मामले में पहले गिरफ्तार दोनों आरोपियों को इसमें शामिल बताते हुए शराब को गलत बताया था, पर एक माह बाद ही अदालत में दूसरी रिपोर्ट देकर उन्होंने गिरफ्तार दोनों आरोपियों को बचाते हुए बरामद शराब को सही बताया है और कुछ अलग तर्क दे दिया.
इस पर संज्ञान लेते हुए एसडीजेएम की अदालत ने थाना प्रभारी से स्पष्टीकरण पूछा है. बताया जाता है कि थाना प्रभारी ने पहले रिपोर्ट 14/15 दिनांक 27/1/15 को अदालत में समर्पित किया था. इसमें उन्होंने कांड के आरोपियों नरेंद्र सिंह पिता स्व रामेश्वर सिंह निवासी गया व दीपक कुमार सिंह पिता रामेश्वर सिंह निवासी गढ़वा के विरुद्ध बातें लिखते हुए अपना तर्क दिया. बाद में इसी मामले को लेकर रिपोर्ट 57/15 दिनांक 28/2/15 सौंपते हुए इन लोगों का बचाव किया.
क्या है मामला
तिलैया पुलिस ने पूर्णिमा टॉकिज के पास स्थित दुकान नंबर तीन के पास शराब उतरते देखा था, तो कागजात की मांग की थी. कागजात तो पेश किया गया, पर जो परमिट दिया गया था वह दूसरी गाड़ी का था. शराब ट्रक नंबर जेएच-09वाई-8167 पर लोड थी और परमिट दिखाया गया दो अन्य गाड़ियों का. एक जेएच-09यू-3022 व जेएच-09एक्स-2931. यह परमिट 22 अक्तूबर को जारी किया गया था. इसके अनुसार इन गाड़ियों का माल कोडरमा में 31 अक्तूबर तक उतर जाना चाहिए था. इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज करते हुए दो को गिरफ्तार करते हुए अन्य आठ लोगों को भी नामजद अभियुक्त बनाया था. डीसी व उत्पाद विभाग की जांच में मामला गलत पाये जाने पर दुकान नंबर तीन को सील करते हुए लाइसेंस सस्पेंड करने की भी कार्रवाई हुई थी.