फोटो ट्रैक टाटा प्रबंधन व पुलिस-प्रशासन ने अधिग्रहित जमीन पर जाने से रोकासंवाददाता रांचीआदिवासी बहुल गांव गितिलोर (नोआमुंडी) के आदिवासियों ने टाटा स्टील परियोजना के लिए अधिग्रहित अपने पुराने गांव कोटता जाकर वहां स्थित अपनी ससनदिरी में अपने पुरखों की पूजा-अर्चना की. जमीन बचाओ समन्वय समिति की अंबिका दास व गौतम मिंज ने बताया कि गितिलोर से कोटता जाने के लिए टाटा स्टील परियोजना के द्वार से गुजरना होता है़ शुक्रवार को जब गितिलोर के करीब 500 आदिवासी पारंपरिक गाजे-बाजे के साथ करीब 10 किलोमीटर पैदल चल कर टाटा स्टील परियोजना के द्वार पहुंचे, तब वहां टाटा के सुरक्षाकर्मी व जिला पुलिस के जवान तैनात थे. द्वार पर ताला लगा था़ जब आक्रोशित ग्रामीण चहारदीवारी पार करने लगे, तब टाटा स्टील प्रबंधन ने ताला खुलवा दिया़ प्रबंधन का कहना था कि अनुमंडल पदाधिकारी का आदेश आवश्यक था. आदिवासियों के इस पारंपरिक जुलूस का नेतृत्व जयराम हेंब्रम, गुरा हेंब्रम, रोकोंडा हेंब्रम, जुनू हेंब्रम ने किया. उन्होंने कहा कि आदिवासियोंं को आस्था व पूजा-अर्चना की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार है. सिर्फ भारतीय संविधान ही नहीं, कई अंतरराष्ट्रीय समझौते द्वारा भी इस मामले में आदिवासियों को विशेष अधिकार दिये गये हैं.
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आदिवासियों ने की ससनदिरी में पुरखों की पूजा-अर्चना
फोटो ट्रैक टाटा प्रबंधन व पुलिस-प्रशासन ने अधिग्रहित जमीन पर जाने से रोकासंवाददाता रांचीआदिवासी बहुल गांव गितिलोर (नोआमुंडी) के आदिवासियों ने टाटा स्टील परियोजना के लिए अधिग्रहित अपने पुराने गांव कोटता जाकर वहां स्थित अपनी ससनदिरी में अपने पुरखों की पूजा-अर्चना की. जमीन बचाओ समन्वय समिति की अंबिका दास व गौतम मिंज ने बताया कि […]
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