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करोड़ों का व्यापार, फिर भी असुरक्षित पंडरा बाजार

सुरक्षा के नाम पर गार्ड तो हैं, पर हाथों में डंडा तक नहीं रांची : राजधानी की सबसे बड़ी थोक मंडी पंडरा बाजार असुरक्षित है. यहां हर दिन करोड़ों का व्यापार होता है, पर बिना सुरक्षा के सब कुछ चल रहा है. सारे थोक दुकान कतारबद्ध हैं. दिन के चार बजे से लेकर रात आठ […]

सुरक्षा के नाम पर गार्ड तो हैं, पर हाथों में डंडा तक नहीं
रांची : राजधानी की सबसे बड़ी थोक मंडी पंडरा बाजार असुरक्षित है. यहां हर दिन करोड़ों का व्यापार होता है, पर बिना सुरक्षा के सब कुछ चल रहा है. सारे थोक दुकान कतारबद्ध हैं. दिन के चार बजे से लेकर रात आठ बजे तक ही यहां का बाजार खुला रहता है. इस दौरान बाजार की गतिविधियां बढ़ी रहती हैं. अगल-बगल जिलों से भी व्यापारी थोक सामान लेने पहुंचते हैं. अधिकतर मामलों में नगद धंधा होता है. मुख्य बाजार के पश्चिमी ओर आलू-प्याज की मंडी है. इसकी सुरक्षा तो और भी खराब है. कई तरफ से बाजार खुला है. कहीं से भी लोग बाजार में आ-जा सकते हैं.
सुरक्षा के नाम पर यहां गार्ड तो हैं, पर उनके हाथों में डंडा तक नहीं होता है. वे बाजार में इधर-उधर घूमते रहते हैं या एक जगह बैठे नजर आते हैं. माना जा रहा है कि ऐसी व्यवस्था सुरक्षा की दृष्टि से पर्याप्त नहीं है.
सीसीटीवी कैमरा की व्यवस्था नहीं
मुख्य बाजार के पास माल के प्रवेश पर निगरानी रखने के लिए सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है. कुछ दुकानदारों ने अपने से कैमरा लगवाया है, पर सुरक्षा के लिए सरकार की ओर से यह व्यवस्था नहीं की गयी है.
पर्याप्त रोशनी तक नहीं है यहां
यहां वेपर लाइट तो हैं, लेकिन वे पर्याप्त रोशनी नहीं देते. वर्षो पुराने वेपर लाइट पर गंदगी जम गयी है. चिड़ियों के घोसले बन गये हैं. नतीजतन काफी कम रोशनी मिलती है. जिससे बाजार में पर्याप्त रोशनी नहीं दिखती.
चहारदीवारी फांद कर आते-जाते हैं
बाजार के चहारदीवारी की ऊंचाई भी काफी कम है. पहले चहारदीवारी में कंटीले तार लगे हुए थे, अब वे भी नहीं हैं. ऐसे में क्षेत्र के आमलोग भी बाजार की दीवार फांद कर आना-जाना करते हैं. कोई भी दीवार फांद कर आ-जा सकता है.
अक्सर होती थी यहां व्यवसायियों से लूट
पहले अक्सर पंडरा के व्यवसायियों को अपराधी अपना निशाना बनाते थे. रात में लौटते समय अक्सर लूट की घटनाएं होती थीं. पर अब बाजार के अंदर ही बैंक की व्यवस्था हो गयी है. जिससे व्यापारी सारा पैसा बैंक में ही जमा करा कर वापस घर लौटते हैं.
ऐसी है बाजार की स्थिति
मुख्य बाजार में प्रवेश करने व निकलने के लिए एक बड़ा गेट है, जो पंडरा ओपी से बिल्कुल सटा है. वहीं बनहोरा रोड की ओर से भी एक गेट खुलता है, जिस पर चेन लगा रहता है, लेकिन इससे होकर बाइक/रिक्शा आदि पार कर जाते हैं. यह गेट बाजार से निकलने के लिए शॉर्ट कट रास्ता है. यहां पर एक गार्ड होता तो है, लेकिन बड़ी गाड़ियों को घुसाने व निकालने के लिए. वही ताला खोल कर पूरा गेट खोलता है. आलू-प्याज मंडी में कहीं से भी घुस-निकल सकते हैं.
पांच होम गार्ड के जवान हैं, जो नजर ही नहीं आते
सुरक्षा के नाम पर पांच होम गार्ड के जवान यहां हैं, लेकिन वे भी नजर नहीं आते हैं. कभी-कभी बाजार में एक ही जगह वे बैठे दिखते हैं. बाजार का एरिया काफी बड़ा है. ऐसे में होमगार्ड के पांच जवानों से इसकी सुरक्षा संभव नहीं है.

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