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चार लाख कम छपेंगी किताबें
पाठय़ पुस्तक : जेइपीसी को किताबों में 15 करोड़ रुपये की होगी बचत निदेशक ने सभी जिलों के डीसी को लिखा पत्र वर्ष 2014 की पांच लाख सेट किताबों का होगा वितरण रांची : राज्य में गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष चार लाख सेट कम किताबें छपेंगी. वर्ष 2013-14 की तुलना में यह […]
पाठय़ पुस्तक : जेइपीसी को किताबों में 15 करोड़ रुपये की होगी बचत
निदेशक ने सभी जिलों के डीसी को लिखा पत्र
वर्ष 2014 की पांच लाख सेट किताबों का होगा वितरण
रांची : राज्य में गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष चार लाख सेट कम किताबें छपेंगी. वर्ष 2013-14 की तुलना में यह लगभग नौ लाख सेट कम है. झारखंड शिक्षा परियोजना को इससे लगभग 15 करोड़ रुपये की बचत होगी.
वर्ष 2013-14 में 53 लाख सेट व वर्ष 2014-15 में 48 लाख सेट किताबों की छपाई हुई थी. इस वर्ष लगभग 44 लाख सेट किताबें छापने की तैयारी है. इसमें और कमी हो सकती है. वर्ष 2010-11 के बाद यह संख्या सबसे कम है. झारखंड शिक्षा परियोजना की निदेशक पूजा सिंघल ने इस संबंध में सभी जिलों के उपायुक्तों को पत्र लिखा है.
पत्र में जिलों द्वारा किताब के लिए भेजी गयी मांग का जिक्र करते हुए कहा गया है कि अगर जिले के किसी बीआरसी में पहले की किताबें रखी है, तो इसकी जांच करा ली जाये. किताबों की संख्या की समीक्षा कर फिर से मांग पत्र भेजा जाय. गत दिनों जिलों के निरीक्षण के दौरान पाया गया कि लगभग चार से पांच लाख सेट किताबें बची हैं. इस वर्ष इन किताबों का वितरण किया जायेगा.
किताब टेंडर की प्रक्रिया शुरू
शैक्षणिक सत्र 2015-16 में किताब वितरण के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू है. टेंडर संबंधित कागजात की बिक्री नौ फरवरी तक की जायेगी. इसे झारखंड शिक्षा परियोजना के वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है.
दस फरवरी को टेंडर फाइनल किया जायेगा. राज्य में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को नि:शुल्क किताबें दी जाती हैं. इस वर्ष किताब टेंडर की प्रक्रिया को झारखंड शिक्षा परियोजना कार्यकारिणीसे दो बार स्वीकृति दी गयी है. इसके साथ ही वित्त विभाग,विधि व निगरानी मंत्रिमंडल से टेंडर के कागजात का सत्यापन किया गया है.
गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष चार से पांच लाख सेट कम किताब छपवाने का निर्णय लिया गया है. इससे लगभग 15 करोड़ की बचत होगी. जिलों द्वारा किताबों की भेजी गयी संख्या को एक बार फिर से समीक्षा करने के लिए सभी उपायुक्तों को पत्र लिखा गया है. सभी जिलों से इस संबंध में जल्द से जल्द रिपोर्ट देने को कहा गया है. जिलों से रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद इसमें और कमी हो सकती है.
पूजा सिंघल, निदेशक, जेइपीसी
2013-14 में सबसे अधिक खर्च
राज्य में वर्ष 2005-06 से नि:शुल्क किताबें दी जा रही हैं. वर्ष 2005-06 में किताब के लिए 32 करोड़ खर्च हुए थे. जो वर्ष 2013-14 में बढ़कर 99 करोड़ हो गये. नौ वर्ष में किताब छपाई के खर्च में 67 करोड़ की बढ़ोतरी हुई. गत दो वर्ष से किताब छपाने के खर्च में कमी आयी है.
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