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नदी जोड़ने का कार्यक्रम धीमा

रांची: झारखंड के बराकर, दामोदर, सुवर्णरेखा, दक्षिण कोयल, शंख और खरकई नदियों को जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना अब धीमी पड़ गयी है. तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो ने 20 जून 2012 को इन नदियों को जोड़ने के चार महात्वाकांक्षी परियोजना पर बैठक की थी. इस दिन प्रोजेक्ट का डीपीआर बनाने का काम नेशनल वाटर […]

रांची: झारखंड के बराकर, दामोदर, सुवर्णरेखा, दक्षिण कोयल, शंख और खरकई नदियों को जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना अब धीमी पड़ गयी है. तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो ने 20 जून 2012 को इन नदियों को जोड़ने के चार महात्वाकांक्षी परियोजना पर बैठक की थी. इस दिन प्रोजेक्ट का डीपीआर बनाने का काम नेशनल वाटर डेवलपमेंट एजेंसी (एनडीडब्ल्यूए) को दिया था.
राज्य सरकार की ओर से बराकर-सुवर्णरेखा-दामोदर, शंख-दक्षिण कोयल, दक्षिण कोयल-सुवर्णरेखा लिंक (खरकई) और दक्षिण कोयल (नागफेनी)-सुवर्णरेखा (नगड़ी) को जोड़ने का प्रस्ताव तैयार किया गया था. ढाई वर्ष में कोई खास प्रगति नहीं हुई है. इन नदियों को जोड़े जाने से 55 हजार हेक्टेयर भूमि तक सिंचाई का पानी पहुंचाने के साथ-साथ 68 मेगावाट पनबिजली परियोजना से बिजली उत्पादन का भारी-भरकम लक्ष्य भी तय किया गया था.
सरकार की ओर से राजधानी रांची में पीने के पानी की वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए दक्षिण कोयल को गुमला के नागफेनी से सुवर्णरेखा नदी के उद्गम स्थल नगड़ी को जोड़ने का कार्यक्रम भी तय किया गया था. एनडीडब्ल्यूए की उच्च स्तरीय टीम ने जून 2012 में धनबाद और राजधानी रांची समेत गुमला का भी दौरा कर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.

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