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मनोरोग पर आदिवासी जागरूक

रांची: आदिवासियों में मनोरोग को लेकर जागरूकता बढ़ी है. अब आदिवासी बहुल क्षेत्र के लोग इलाज के लिए मानसिक आरोग्य शाला या उनके द्वारा लगाये गये केंद्रों पर पहुंच रहे हैं. इस कारण रिनपास द्वारा राज्य के कई इलाकों में लगाये जा रहे आउटरिच कार्यक्रम में आनेवाले मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही […]

रांची: आदिवासियों में मनोरोग को लेकर जागरूकता बढ़ी है. अब आदिवासी बहुल क्षेत्र के लोग इलाज के लिए मानसिक आरोग्य शाला या उनके द्वारा लगाये गये केंद्रों पर पहुंच रहे हैं. इस कारण रिनपास द्वारा राज्य के कई इलाकों में लगाये जा रहे आउटरिच कार्यक्रम में आनेवाले मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. वित्तीय वर्ष 2012-13 में रिनपास के आउटरिच कार्यक्रम में 30 हजार 811 लोग इलाज के लिए आये. इसमें 17 हजार 955 पुरुष तथा 12856 महिलाएं थीं. संस्थान द्वारा 2001-02 में लगाये गये आउटरिच कार्यक्रम में मात्र 1321 लोग इलाज के लिए आये थे.

आदिवासी बहुल क्षेत्रों में लगता है कैंप
रिनपास चार जिलों में आउटरिच कार्यक्रम के तहत कैंप लगाता है. सभी जिले आदिवासी बहुल हैं. इसके लिए ऐसे क्षेत्र का चयन किया जाता है, जहां लोगों की पहुंच आसानी से हो सके. रांची में जोन्हा में करीब 15 साल से कैंप लगाया जा रहा है. इसके अतिरिक्त हजारीबाग, खूंटी, सरायकेला में संस्थान का कैम्प लगता है. इसमें संस्थान के वरीय चिकित्सकों की देखरेख में एक टीम इन क्षेत्रों में जाती है. वहां के लोगों का इलाज करती है. जरूरतमंद मरीजों को मुफ्त में दवाएं भी दी जाती है. जिन मरीजों को भरती की जरूरत है, उनको अस्पताल लाया जाता है.

कई भ्रांतियां हैं
आउटरिच कार्यक्रम के तहत विभिन्न इलाकों में इलाज करने जानेवाले चिकित्सकों का कहना है कि लोगों में मनोरोग को लेकर अब भी भ्रांतियां हैं. शुरुआती दौर में लोग मरीजों का घरेलू इलाज ही कराते हैं. ऐसे में बीमारी काफी बढ़ जाती है. इसका इलाज बाद में काफी परेशानी के बाद होता है.

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