रांची: आज शिक्षा व्यापार बन गयी है. लोगों का मानना है कि शिक्षा का उद्योग सतत चल सकता है. शिक्षा महंगी हो गयी है. योग्यता रहने के बाद भी होनहार वंचित रह जा रहे हैं. पहले शिक्षा एक व्रत के समान थी. संस्कार युक्त शिक्षा की जगह अब पेट भरनेवाली शिक्षा दी जाती है. आज की शिक्षा का उद्देश्य डिग्री हासिल करना हो गया है. ब्रिटिश शासन के बाद से हमारी शिक्षा प्रणाली में गिरावट आ गयी है. उक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संचालक मोहन भागवत ने कही. श्री भागवत नगड़ी प्रखंड के कुदलुम गांव में आदित्य प्रकाश जालान टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज के उदघाटन अवसर पर लोगों को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि 100-150 साल पहले हमारी शिक्षा प्रणाली काफी समृद्ध थी. समाज द्वारा स्कूल चलाये जाते थे. शिक्षक भी अपना जीवन दूसरों के लिए समर्पित कर देते थे. गांव के लोग शिक्षक व उनके परिवार की आजीविका चलाते थे. डिग्री लेने से ही कोई पंडित नहीं बन सकता. कबीर, रामकृष्ण परमहंस जैसे कई उदाहरण हमारे सामने हैं, जो काफी पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन हमारे आदर्श हैं. परमहंस ने तो यह कहते हुए पढ़ाई छोड़ दी थी कि यह पेट भरनेवाली शिक्षा मुङो नहीं चाहिए. जो सामथ्र्यवान हैं, क्या शिक्षा पर उनका ही अधिकार है. संस्कार युक्त शिक्षा आज के समय की जरूरत है.
मैं व मेरा परिवार से आगे सोचें
श्री भागवत ने कहा कि आज मैं और मेरा परिवार से आगे सोचने की जरूरत है. विद्या भारती के संरक्षक ब्रह्नादेव शर्मा (भाई जी) ने संस्था द्वारा किये जा रहे कार्यो के बारे में बताया. इस दौरान विद्या विकास समिति के अध्यक्ष राम अवतार नारसरिया, डॉ रमाकांत राय, सिद्धनाथ सिंह, शशिकांत द्विवेदी, मुकेश नंदन मंच पर आसीन थे. इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र राय, रघुवर दास, सुदर्शन भगत, दीपक प्रकाश, प्रेम मित्तल, डीपीएस के प्राचार्य जे मोहंती, टाटा मोटर्स के वरीय पदाधिकारी विनोद सहाय, हबीब साले, शैलेश मिश्र, प्रशांत बेहरा, ओड़िशा के डीलर गंगा श्यामल, विमलेंदु मोहंती, अजय पोद्दार, रमेश गनेरीवाल व अन्य उपस्थित थे.