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बढ़ते एनपीए से बैंकों की परेशानी बढ़ी

नयी दिल्ली. समाप्त होते वर्ष 2014 में बढ़ता एनपीए बैंकों के लिए परेशानी का सबब बना रहा. पूरे साल कर्ज की वसूली को लेकर बैंकों पर दबाव बना रहा. वर्ष के दौरान बैंकों में उच्चस्तर पर भ्रष्टाचार के भी कुछ मामले सामने आये. हालांकि, इस दौरान दो नयी वित्त कंपनियों को बैंकिंग कारोबार के लाइसेंस […]

नयी दिल्ली. समाप्त होते वर्ष 2014 में बढ़ता एनपीए बैंकों के लिए परेशानी का सबब बना रहा. पूरे साल कर्ज की वसूली को लेकर बैंकों पर दबाव बना रहा. वर्ष के दौरान बैंकों में उच्चस्तर पर भ्रष्टाचार के भी कुछ मामले सामने आये. हालांकि, इस दौरान दो नयी वित्त कंपनियों को बैंकिंग कारोबार के लाइसेंस के लिए चुना गया. वर्ष समाप्त होते-होते बैंकों ने यह सबक अच्छी तरह सीख लिया कि यदि आप पर बैंक का 100 डॉलर कर्ज है, तो यह आपकी समस्या है, लेकिन यदि आप पर बैंक का 10 करोड़ डॉलर कर्ज है, तो यह बैंक की समस्या है. जाने-माने अमेरिकी उद्योगपति जेपॉल गेटी ने यह बात कही थी, जो कि 1976 में मृत्यु होने तक विश्व के सबसे अमीर व्यक्ति बने रहे. भारतीय बैंकिंग उद्योग के मामले में उनके शब्द आज दशकों बाद पूरी तरह से सटीक बैठते हैं. वर्ष के दौरान भारतीय बैंकिंग उद्योग को भ्रष्टाचार की समस्या से भी दो-चार होना पड़ा. ऋण के लिए नकदी’ घोटाले ने सबको चकित कर दिया. सरकारी बैंकों के शीर्ष कार्यकारियों की नियुक्ति में अनियमितताओं से भी उद्योग को जूझना पड़ा.

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