रांची: प्रभात खबर कार्यालय में रविवार को ऑनलाइन हेल्थ काउंसलिंग के दौरान दंत रोग विशेषज्ञ डॉक्टर धर्मवीर सिंह ने पाठकों को दांत से जुड़ी समस्याओं पर परामर्श दिया. उन्होंने बताया कि दांतों के टेढ़ा होने की संभावना शिशु काल में ही होती है. टेढ़े-मेढ़े दांत की समस्या अनुवांशिक भी होती है. लेकिन इसके अन्य कारण भी हैं.
दूध के दांत का सही समय पर नहीं गिरना या समय से पहले गिर जाना तथा जबड़े में समस्या होना कारण है. गलत आदत जैसे अंगूठा चूसने के कारण ऊपरी दांत की हड्डी बाहर की ओर आ जाती है. जुबान को बाहर की ओर धकेलने आदि के कारण भी बच्चों के दांत टेढ़े हो जाते हैं.
बच्चों में यदि इस तरह की आदत विकसित हो गयी है तो इसे छुड़ाने का प्रयास करें. साथ ही दांतों के टेढ़े-मेढ़े निकलने की संभावना को देखते हुए दंत चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए. छह से चौदह वर्ष में जबड़े के आकार को नियंत्रित कर सही किया जा सकता है.
आर्थोडॉटिक ट्रिटमेंट के जरिये भी इसका इलाज किया जाता है. दांतों के पीलापन को दूर करने के लिए स्केलिंग, माइक्रो स्क्रोजन तथा ब्लीचिंग विधि अपनायी जाती है. खाने के बाद ब्रश जरूर करें. दांतों के कनकनाहट को रोकने के लिए अच्छे सेंसेटिव टूथ पेस्ट का इस्तेमाल करें साथ ही गुटखा-पान, सिगरेट आदि से दूरी बनाएं. अत्यधिक ठंड या गरम वस्तुओं के सेवन से भी दांत पर असर पड़ता है. मसूढ़ों से खून निकलने पर मसूढ़ों की सफाई करवा लेनी चाहिए.
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डिजायर डेंटल क्राफ्ट,
साहू कॉम्पलेक्स, हिनू, रांची
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