एजेंसियां, मुंबईजिंदगी की आपाधापी के बीच स्मार्टफोन के युग में मोबाइल एप हमारे जीवन का अहम हिस्सा बनते जा रहे हैं, जहां व्हाट्सएप मैंसेजर जैसी लोकप्रिय सेवाएं बचपन के दोस्तों से जुड़ने और बचपन की यादें ताजा करने के साधन बन कर उभरी हैं. व्हाट्सएप पर बनाये जानेवाले समूह लोकप्रिय होते जा रहे हैं और अमूमन हर व्हाट्सएप उपयोक्ता कम से कम तीन समूहों का सदस्य बना हुआ है, ताकि वह अपने दोस्तों, परिवार वालों और कार्यालय के साथियों के साथ जुड़ा रहे. दोस्तों से जुड़ने में के मामले में अधिकतर की पसंद बालसखाओं से जुड़ने में है. एक आइटी कार्यकारी परेश हेडे ने कहा, ‘यह अपने बालसखाओं से जुड़े रहने का बहुत ही सुविधाजनक तरीका है और साथ ही ताजा जानकारी भी मिलती रहती है कि आपके दोस्तों के जीवन में क्या चल रहा है.’ व्हाट्सएप जैसे मंचों पर केवल अंगरेजी में बात करने की बाध्यता भी नहीं है, क्योंकि स्मार्टफोन पर हिंदी, मराठी, तमिल और तेलगु जैसी देशज भाषाओं के टाइपिंग फांट भी उपलब्ध हैं, जिनसे लोग अपनी भाषा में ही अपनी भावनाओं का इजहार कर पाते हैं. मीडियाकर्मी सोनू श्रीवास्तव बताते हैं कि बालसखाआंें का यह समूह बचपन की सारी यादों को ताजा कर देता है. अपने दोस्तों के साथ बिताए लम्हें आंखों के सामने तैर आते हैं. शिक्षकांे और दोस्तों के नाम रखना, एक दूसरे की टांग खींचना, सब कुछ याद आने से लगता है कि वापस बचपन में ही लौट गये हों. जिन मित्रों के साथ लंबे समय से हमारा संपर्क नहीं होता इस माध्यम से उनसे भी मुलाकात हो जाती है.
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बालसखाओं को जिंदगी में फिर साथ ला रहे एप
एजेंसियां, मुंबईजिंदगी की आपाधापी के बीच स्मार्टफोन के युग में मोबाइल एप हमारे जीवन का अहम हिस्सा बनते जा रहे हैं, जहां व्हाट्सएप मैंसेजर जैसी लोकप्रिय सेवाएं बचपन के दोस्तों से जुड़ने और बचपन की यादें ताजा करने के साधन बन कर उभरी हैं. व्हाट्सएप पर बनाये जानेवाले समूह लोकप्रिय होते जा रहे हैं और […]
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