न्यू यॉर्क. सूर्य से निकलनेवाले प्लाज्मा और कणों के प्रवाह में बदलाव से पृथ्वी की ओर बढ़ रहे खतरनाक उल्कापिंडों का पता चलने में मदद मिल सकती है. यह दावा एक नये अध्ययन में किया गया है. लॉस एंजिल्स स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया में पृथ्वी, ग्रह और अंतरिक्ष विज्ञान के शोधकर्ता तथा अध्ययन के सह-लेखक हानयिंग वी के अनुसार निष्कर्षों से पृथ्वी के करीब आ रहे चेल्याबिंस्क उल्कापिंड जैसे छोटे पदार्थों की पहचान में मदद मिल सकती है. वर्ष 2013 में रूस के ऊपर चेल्याबिंस्क उल्कापिंड में विस्फोट हो गया था. भले ही कोई मुख्य क्षुद्रग्रह कभी धरती के करीब नहीं आये, लेकिन पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण छोटी कक्षाओं को अपनी ओर मोड़ कर उन्हें सीधे इस ग्रह की तरफ ला सकता है, जब उल्का किसी क्षुद्रग्रह के आसपास के धूल के बादल में स्थित मध्यम आकार के पत्थर जैसे पदार्थों के साथ टकराते हैं तो छोटे तत्व भी बहुत बड़े पदार्थ को चूर-चूर कर सकते हैं और धूल की धंुध सी छा जाती है.
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सौर नपल से पृथ्वी के पास आ रहे पत्थरों की हो सकती है पहचान
न्यू यॉर्क. सूर्य से निकलनेवाले प्लाज्मा और कणों के प्रवाह में बदलाव से पृथ्वी की ओर बढ़ रहे खतरनाक उल्कापिंडों का पता चलने में मदद मिल सकती है. यह दावा एक नये अध्ययन में किया गया है. लॉस एंजिल्स स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया में पृथ्वी, ग्रह और अंतरिक्ष विज्ञान के शोधकर्ता तथा अध्ययन के सह-लेखक […]
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