रांची. विख्यात कवि और साहित्यकार डॉ शिव शंकर मिश्र ने अपने सत्तर वर्ष होने पर कहा कि लेखन एक अनवरत प्रक्रि या है और लिखना ही लेखक का जीवन है. उन्होंने डेढ़ घंटे तक अपनी विशिष्ट शैली की गहराइयोंवाली कविताओं, गजलों, गीतों से उपस्थित गणमान्य लेखकों, कवियों और छात्रों को मंत्रमुग्ध कर दिया. झारखंड साहित्य संगम की ओर से रविवार को डॉ मिश्र के सत्तरवें जन्म दिवस पर इस कार्यक्र म का आयोजन किया गया था. कार्यक्र म की अध्यक्षता व्यंग्यकार डॉ बालेंदु शेखर तिवारी ने की. साहित्यकार दिलीप तेतरवे ने भी अपने विचार रखे. धन्यवाद ज्ञापन शायर जेडए खान ने और मंच संचालन डॉ कमल कुमार बोस ने किया. इस अवसर पर रांची विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अमर कुमार चौधरी, नरेंद्र झा, कमल पांडे, डॉ कुमुद कला मेहता, डॉ वासुदेव, डॉ जिंदर सिंह मुंडा, सृष्टि राय, डॉ यशोधरा राठौर, डॉ रत्नेश विश्वक्सेन, सुधीर लाल, डॉ राजाराम महतो, नज़्म नाहिद अंसारी, डॉ जेबी पांडेय, आलोक प्रभात, कुमार गौरव, डॉ हाराधन कोईरी, आत्मेश्वर झा, अमरेन्द्र सिंह, नित्यशंकर मुखोपाद्याय, डॉ,गौरीशंकर तिवारी, चन्द्र प्रभा राय समेत अन्य लोग उपस्थित थे.
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लेखन अनवरत प्रक्रिया : डॉ शिव शंकर मिश्र
रांची. विख्यात कवि और साहित्यकार डॉ शिव शंकर मिश्र ने अपने सत्तर वर्ष होने पर कहा कि लेखन एक अनवरत प्रक्रि या है और लिखना ही लेखक का जीवन है. उन्होंने डेढ़ घंटे तक अपनी विशिष्ट शैली की गहराइयोंवाली कविताओं, गजलों, गीतों से उपस्थित गणमान्य लेखकों, कवियों और छात्रों को मंत्रमुग्ध कर दिया. झारखंड साहित्य […]
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