रांची: स्कूल प्रबंधन वह सब कुछ करते रहे हैं, जो आदेश का उल्लंघन है. समय-समय पर झारखंड एजुकेशनल ट्रिब्यूनल (जेट) व राज्य सरकार ने आदेश जारी किये थे. जेट ने अपने दो आदेश में स्पष्ट किया था कि निजी स्कूल गत वर्ष की तुलना में अपनी टय़ूशन फीस में 15 फीसदी से अधिक वृद्धि नहीं कर सकते.
इधर, स्कूलों ने इस आदेश के जारी होने के बाद से लगातार अधिकतम 50 फीसदी तक फीस वृद्धि की है. जेट का दूसरा आदेश स्कूल परिसर में कॉपी-किताब नहीं बेचने संबंधी था, लेकिन कई स्कूलों में हर वर्ष कॉपी-किताबें दी जाती हैं. पूर्व में राज्य सरकार के माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने भी एक आदेश निकाला था. इसमें कहा गया था कि निजी स्कूलों को फीस वृद्धि के लिए स्वीकृति लेनी होगी.
12 दिसंबर 2006 को जारी इस आदेश के बाद से स्कूलों ने कभी भी स्वीकृति जरूरी नहीं समझा. इसी आदेश में खर्च का मद वार ब्योरा देने संबंधी बातें भी थीं, जिसका पूरा पालन नहीं होता. पढ़ाई के नाम पर हर कीमत चुकाते अभिभावकों की परेशानी वर्ष 2009 से और बढ़ी है, जब छठे वेतन आयोग की अनुशंसा का हवाला देते हुए स्कूलों ने सभी तरह के शुल्क में बेतहाशा वृद्धि करनी शुरू की थी.