रांची: पुलिस को पहले से पता था कि सीसीएल कर्मी अशोक पासवान की जान को खतरा है. चतरा जिला के पिपरवार थानेदार ने अशोक पासवान को एक अगस्त, 2014 को एक नोटिस भेजा था. उसमें हिदायत दी गयी थी कि आप (अशोक पासवान) अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भ्रमण करेंगे.
खतरे को देखते हुए अकेले और असुरक्षित स्थानों पर भ्रमण नहीं करें. अशोक को यह भी हिदायत दी गयी थी कि वे अपनी यात्रा को अति गोपनीय रखेंगे. इससे स्पष्ट है कि पुलिस को पहले से इस बात की जानकारी थी कि अशोक पासवान की जान को खतरा है. जानकारी के बाद भी पुलिस ने सुरक्षा
की जिम्मेवारी नहीं ली और सिर्फ नोटिस भेज कर अपना पल्ला झाड़ लिया. दिलचस्प बात है कि चतरा पुलिस ने इस बात की जानकारी रांची पुलिस को भी नहीं दी थी.
उल्लेखनीय है कि गत सोमवार को हरमू स्थित सहजानंद चौक के पास सीसीएल कर्मी अशोक कुमार पासवान की गोली मार कर हत्या कर दी गयी. वह पहले सीसीएल के खलारी एरिया में पदस्थापित थे. जमीन अधिग्रहण के बदले सीसीएल ने उन्हें नौकरी दी थी. वहां टीपीसी के उग्रवादियों ने लेवी की मांग को लेकर हत्या की धमकी दी थी. इसके बाद से ही वह रांची में रहने लगे थे और अपना तबादला सीसीएल मुख्यालय दरभंगा हाउस में करवा लिया था. अशोक रांची में अपने भाई जयप्रकाश उर्फ राजू पासवान के परिवार के साथ हरमू के कार्तिक उरांव चौक के पास रह रहे थे.
पुलिस को मिले कई तथ्य
हत्याकांड में जांच के दौरान पुलिस को मंगलवार को कुछ नये तथ्य मिले हैं. एक पुलिस अधिकारी के अनुसार अशोक का संबंध में पूर्व में नक्सलियों के साथ भी होने की बात सामने आ रही है. हालांकि नौकरी के बाद अशोक ने नक्सलियों से संबंध तोड़ लिया था. नक्सलियों से संबंध रखने के कारण वह टीपीसी के निशाने पर थे. एक पुलिस अधिकारी के अनुसार गत सोमवार को ही अशोक अपने गांव गये थे, लेकिन वहां से लौट आये थे. अशोक को गांव में कुछ लोगों ने देख लिया था. इसके बाद से ही अशोक के दुश्मन उसके पीछे पड़ गये थे. उसका पीछा करते हुए हरमू तक पहुंच गये.
हत्या में प्वाइंट 303 कारतूस का प्रयोग
पिपरवार के बेंती पंचायत की मुखिया ज्योति देवी के पति व सीसीएलकर्मी अशोक कुमार पासवान की हत्या में प्वाइंट 303 कारतूस का प्रयोग किया गया था. यह खुलासा पोस्टमार्टम में हुआ है. पोस्टमार्टम सूत्रों के अनुसार अशोक के दाहिने जबड़े में सटा कर गोली मारी गयी थी. जबड़ा में गोली लगने के बाद गोली गले से होते हुए बांये कंधे में जाकर फंस गयी थी, जबकि दूसरी गोली उनके दाहिने हाथ में मारी गयी थी, जो हाथ को चीर कर निकल गयी थी. इधर, घटना को लेकर मंगलवार को अरगोड़ा थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. प्राथमिकी में हत्या का आरोप टीपीसी के किसी उग्रवादी पर नहीं, बल्कि अज्ञात अपराधियों पर लगाया गया है. प्राथमिकी में टीपीसी की ओर से लेवी मांगे जाने से संबंधित किसी बात का जिक्र नहीं है.
हत्याकांड में हाथ नहीं: टीपीसी
सीसीएलकर्मी अशोक कुमार पासवान की हत्या में टीपीसी का नाम बेवजह घसीटा जा रहा है. अशोक की हत्या टीपीसी ने नहीं की है. यह कहना है टीपीसी के प्रवक्ता अजयजी का. टीपीसी प्रवक्ता ने मीडिया को बताया है कि अशोक पासवान बेंती का रहने वाला था. उसकी पत्नी बेंती पंचायत की मुखिया है. टीपीसी ने कभी भी अशोक अथवा उसके परिवार के किसी सदस्य को धमकी नहीं दी. जो लोग अशोक की हत्या में टीपीसी का हाथ बता रहे हैं, वे खुद कई उग्रवादी कांडों में जेल जा चुके हैं. आरोप लगाने वाला व्यक्ति खुद पहले से संदेह के घेरे में है. ऐसे लोग अशोक की हत्या में टीपीसी का नाम लेकर पुलिस को गुमराह कर रहे हैं.